नयी दिल्ली, 28 अगस्त दिल्ली की एक अदालत 2019 से जेल में बंद लोकसभा सदस्य इंजीनियर रशीद की एक याचिका पर चार सितंबर को अपना आदेश सुना सकती है। रशीद ने इस याचिका में 2017 के जम्मू कश्मीर आतंकवाद वित्तपोषण मामले में नियमित जमानत का अनुरोध किया है।
इंजीनियर रशीद के नाम से मशहूर शेख अब्दुल रशीद ने 2024 के लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को बारामूला निर्वाचन क्षेत्र में परास्त किया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) चंद्रजीत सिंह ने रशीद की जमानत याचिका पर बुधवार को बंद कमरे में दलीलें सुनीं और आदेश सुरक्षित रख लिया।
अदालत के सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने मामले में रशीद की जमानत याचिका का विरोध किया, जिसमें उन पर आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत आरोप लगाया गया है। एजेंसी ने दावा किया कि रशीद गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और न्याय में बाधा डालने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।
संघीय आतंकवाद रोधी एजेंसी ने आरोप लगाया कि तिहाड़ केंद्रीय जेल में बंद रहने के दौरान रशीद ने टेलीफोन सुविधाओं का दुरुपयोग किया, जिसके कारण अधिकारियों ने कैदी के तौर पर फोन कॉल करने की उनकी सुविधा पर प्रतिबंध लगा दिया। एनआईए ने कहा कि उसे डर है कि अगर रशीद को जमानत पर रिहा किया गया तो वह अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर सकते हैं।
एजेंसी ने दावा किया कि रशीद ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की गतिविधियों का "राजनीतिक कारण" के रूप में बचाव किया।
एनआईए ने आरोप लगाया कि रशीद पाकिस्तानी समूहों द्वारा आतंकवादी कृत्यों को राजनीतिक संघर्ष के रूप में चित्रित करने की साजिश रचने में भी शामिल थे, जिसका उद्देश्य जम्मू कश्मीर में अलगाववाद को भड़काना था।
न्यायाधीश ने 20 अगस्त को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को एक नोटिस जारी किया था और उसे याचिका पर 28 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
इससे पहले अदालत ने रशीद को सांसद के तौर पर शपथ लेने के लिए पांच जुलाई को हिरासत में पैरोल दी थी। रशीद 2019 से जेल में हैं, जब एनआईए ने उन पर कथित आतंकवाद वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोप लगाया था। वह तिहाड़ जेल में बंद हैं।
रशीद का नाम कश्मीरी व्यवसायी जहूर वटाली के खिलाफ जांच के दौरान सामने आया था। वटाली को एनआईए ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी संगठनों और अलगाववादियों का कथित रूप से वित्त पोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
एनआईए ने इस मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन समेत कई लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
मलिक को 2022 में एक अधीनस्थ अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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