नयी दिल्ली, 25 नवंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने एक मल-जल शोधन संयंत्र (एसटीपी) के संचालन के संबंध में बार-बार अपना जवाब बदलकर अधिकरण का समय बर्बाद करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के एक अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई है।
स्मृति वन और उसके अंदर मौजूद एक तालाब के संरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई करते हुये अधिकरण ने कहा कि ऐसा लगता है कि संबंधित अधिकारी “अधिकरण को गुमराह करने” की कोशिश कर रहा है।
स्मृति वन दक्षिण दिल्ली के रिज इलाके का हिस्सा है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 20 नवंबर को पारित आदेश में डिजेबी की ओर से 13 नवंबर को दाखिल जवाब का संज्ञान लिया, जिसके मुताबिक इलाके में बारिश के पानी और अपशिष्ट जल के शोधन के लिए 1,100 किलोलीटर प्रति दिन (केएलडी) क्षमता वााला विकेंद्रीकृत मल जल शोधन संयंत्र (डीएसटीपी) लगाया गया है।
पीठ ने कहा, “डीजेबी के अधीक्षक अभियंता (एसई) अनिल भारती मौजूद हैं। हमने उनसे पूछा था कि इस डीएसटीपी में किस चीज का शोधन किया जाता है। शुरू में उन्होंने कहा कि डीएसटीपी में किसी भी अवजल का शोधन नहीं किया जाता है। इसमें सिर्फ बारिश के पानी का शोधन किया जाता है।”
अधिकरण ने कहा कि थोड़ी देर की बहस के बाद एसई ने कहा कि डीएसटीपी में नाली के पानी का शोधन किया जाता है, लेकिन इसके बाद उन्होंने फिर से अपना रुख बदलते हुए कहा कि उसमें अवजल का भी शोधन किया जा रहा था।
एनजीटी ने कहा, “संबंधित अधिकारी के इस तरह बार-बार जवाब बदलने से अधिकरण का काफी समय बर्बाद हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है कि बार-बार जवाब बदलकर अधिकरण को गुमराह करने का प्रयास किया गया है और हम उन्हें भविष्य में ऐसा आचरण न दोहराने की चेतावनी देते हैं।”
अपने समक्ष पेश सबूतों का संज्ञान लेते हुए अधिकरण ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के बीच “प्रभावी समन्वय की कमी” थी।
एनजीटी ने कहा, “लिहाजा हम निर्देश देते हैं कि डीजेबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और डीडीए के उपाध्यक्ष/कार्यवाहक उपाध्यक्ष एक बैठक करेंगे और इस मतभेद को सुलझाएंगे।”
अधिकरण ने कहा, “डीजेबी और डीडीए हलफनामा दाखिल कर बताएंगे कि तालमेल की कमी से जुड़े मुद्दे को सुलझा लिया गया है और डीएसटीपी के संचालन के लिए जवाबदेही तय की गई है।”
मामले में अगली सुनवाई के लिए सात मार्च की तारीख तय की गई है।
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