नयी दिल्ली, 21 नवंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने को लेकर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) पर बृहस्पतिवार को 50 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया।
एनजीटी ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) यमुना नदी से मिलने वाले बरसाती नालों में सीवेज (जलमल) के बहाव को रोकने में अपने वैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहा है।
एनजीटी ने कहा कि एमसीडी ने दक्षिण दिल्ली में एक बरसाती नाले की स्थिति और कार्यात्मक क्षमता को बदलने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र से हटकर काम किया।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा, "यमुना नदी की ओर जाने वाले बरसाती नालों में सीवेज के बहाव को रोकने में डीजेबी की विफलता पहली बार नहीं देखी गई और इसकी निंदा की गयी बल्कि (पिछले) विभिन्न आदेशों से स्पष्ट है कि बार-बार निर्देश जारी किए गए, समय और अवसर दिए गए... लेकिन सभी प्रयास विफल रहे।”
अधिकरण ने कहा कि कुशक नाले की "कार्यात्मक क्षमता" में परिवर्तन करके एमसीडी ने "अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है" और वह "प्रदूषण फैलाने" तथा पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने में समान रूप से दोषी है।
एनजीटी ने एमसीडी और डीजेबी दोनों को पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के लिए दो महीने में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को लगभग 25.22-25.22 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देने का निर्देश दिया।
अधिकरण ने कहा, “डीजेबी और एमसीडी से वसूले गए पर्यावरणीय मुआवजे की राशि का उपयोग सीपीसीबी दिल्ली में हुई पर्यावरणीय क्षति की भरपाई से संबंधित योजना पर करेगा।"
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