अति राष्ट्रवादी पार्टी के अध्यक्ष नफ्ताली बेनेट प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। लेकिन अगर वह इस पद पर बने रहना चाहते हैं तो उन्हें दक्षिणपंथी, वामपंथी और उदारवादी पार्टियों के भारी-भरकम गठबंधन को बरकरार रखना होगा।
सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होकर इतिहास रच रहे एक छोटे अरब गुट समेत आठ दल नेतन्याहू का विरोध करने और नये सिरे से चुनाव कराने के खिलाफ एकजुट हुए हैं लेकिन बहुत कम मुद्दों पर सहमत हैं। उनके एक मामूली एजेंडा पर आगे बढ़ने की संभावना है जिसका मकसद फलस्तीनियों के साथ तनाव कम करने और बिना कोई बड़ी पहल शुरू किए अमेरिका के साथ अच्छे संबंध बरकरार रखने का है।
भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे नेतन्याहू संसद में सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष बने हुए हैं और समझा जाता है कि नयी सरकार का पुरजोर विरोध करेंगे। अगर एक भी गुट पीछे हटता है तो नयी सरकार अपना बहुमत गंवा देगी और सरकार गिरने का जोखिम पैदा हो जाएगा जिससे नेतन्याहू को सत्ता में लौटने का मौका मिल सकता है।
नयी सरकार उतार-चढ़ाव भरे दो वर्षों में चार बार चुनाव होने, पिछले महीने गाजा के साथ 11 दिन तक युद्ध चलने और देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाले कोरोना वायरस प्रकोप के बाद सामान्य हालातों का वादा कर रही है। हालांकि, कोरोना वायरस के प्रकोप को सफल टीकाकरण अभियान के बाद काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है।
गठबंधन के पीछे की सबसे बड़ी ताकत याइर लापिद हैं। वह एक उदारवादी नेता हैं जो सरकार का कार्यकला लंबा चलने की स्थिति में दो वर्षों में प्रधानमंत्री बन सकते हैं।
इजराइल की संसद ‘नेसेट’ स्थानीय समयानुसार शाम चार बजे नयी सरकार पर वोट के लिए बुलाई जाएगी। 120 सदस्यीय संसद में कम से कम 61 मतों के बहुमत से इसके जीतने की उम्मीद है जिसके बाद नयी सरकार शपथ लेगी। सरकार शाम में अपनी पहली आधिकारिक बैठक करने की योजना बना रही है। यह साफ नहीं है कि नेतन्याहू समारोह में शामिल होंगे। यह भी स्पष्ट नहीं है कि वह कब आधिकारिक आवास छोड़ेंगे।
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