नयी दिल्ली, 24 दिसंबर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि तीन नए आपराधिक कानून -भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम - नागरिक अधिकारों के रक्षक और ‘न्याय की सुगमता’ का आधार बन रहे हैं।
उत्तराखंड में तीन आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर यहां एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से नये कानूनों को यथाशीघ्र शत-प्रतिशत लागू करने को कहा।
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने क्रमशः औपनिवेशिक काल के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया। नए कानून एक जुलाई को लागू हुए।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि बैठक में चर्चा के दौरान शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीनों नए आपराधिक कानून नागरिक अधिकारों के रक्षक और ‘न्याय की सुगमता’ का आधार बन रहे हैं।
शाह ने कहा कि नए कानून पीड़ित और नागरिक केंद्रित हैं और इन्हें इसी भावना के साथ शीघ्रता से लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को नये कानूनों के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी एवं अन्य क्षेत्रों में खामियों को दूर करने के प्रयास करने चाहिए।
गृह मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार को उन क्षेत्रों के सभी पुलिस थानों और कारागारों में नए कानूनों के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन को प्राथमिकता देनी चाहिए जहां अधिक प्राथमिकी दर्ज होती हैं।
बयान में कहा गया कि बैठक में उत्तराखंड में पुलिस, जेल, अदालतों, अभियोजन और फोरेंसिक से संबंधित विभिन्न नए प्रावधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई।
प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देते हुए शाह ने कहा कि राज्य के प्रत्येक जिले में एक से अधिक फोरेंसिक मोबाइल वैन उपलब्ध होनी चाहिए।
शाह ने धामी को तीनों नए कानूनों के क्रियान्वयन की प्रगति की हर 15 दिन में समीक्षा करने तथा मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ सप्ताह में एक बार समीक्षा करने को कहा।
उन्होंने उत्तराखंड के डीजीपी को सुझाव दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी पुलिस अधीक्षक निर्धारित समयसीमा के भीतर मामलों की जांच करें।
शाह और धामी के अलावा गृह मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार के शीर्ष अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।
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