संयुक्त राष्ट्र, 15 फरवरी भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि विश्व को आतंकवादी साजिशों के सरगनाओं को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराने तथा उनके झूठ को बेनकाब की जरूरत है। साथ ही भारत ने पाकिस्तान का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि वे खुद को "आतंकवाद से पीड़ित" के रूप में पेश करके अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह न कर सकें।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के काउंसेलर राजेश परिहार ने सोमवार को कहा कि विश्व ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले, 2016 के पठानकोट आतंकी हमले और 2019 के पुलवामा आतंकवादी हमले की भयावहता को देखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम सभी जानते हैं कि इन हमलों के साजिशकर्ता कहाँ से हैं?’’ वह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के सदस्य देशों के साथ आतंकवाद विरोधी समिति के कार्यकारी निदेशालय (सीटीईडी) के कार्य पर खुली चर्चा में भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य दे रहे थे।
परिहार ने कहा, "हमें उनके झूठ को बेनकाब करने और उन्हें उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराने की जरूरत है।"
उन्होंने पाकिस्तान का संदर्भ देते हुए कहा कि यह अफसोाजनक है कि इन बर्बर हमलों के पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिला है, और इन हमलों के साजिशकर्ता, सूत्रधार और वित्तपोषक अब भी शासन के समर्थन और आतिथ्य का सुख ले रहे हैं।
परिहार ने कहा, "हमें उम्मीद है कि आतंकवाद विरोधी समिति, इसका कार्यकारी निदेशालय - सीटीईडी, और ‘एनालिटिकल सपोर्ट एंड सैंक्शन मॉनिटरिंग टीम’ अल-कायदा, विशेष रूप से उनके सहयोगियों, लश्कर और जैश के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ आतंकवादी समूहों के अत्याचार पर गौर करेंगे।’’
उन्होंने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि इन मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र का रिपोर्टिंग तंत्र निष्पक्ष, उद्देश्यपरक, समावेशी और व्यापक हो।"
परिहार ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पिछले कुछ वर्षों से, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश आतंकवादियों के बारे में "आगाह कर रहे’’ हैं, जिनकी पहुंच इंटरनेट, मोबाइल उपकरणों, सोशल मीडिया, ‘एन्क्रिप्टेड’ (कूट) मैसेज सेवाओं जैसी आधुनिक और उभरती प्रौद्योगिकियों तक है। उनका इस्तेमाल नफरत फैलाने, कट्टरपंथी प्रचार, गलत विमर्श तैयार करने और भर्ती तथा आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया जाता है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण यह खतरा और भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में आतंकवादी संगठनों के सरगना भारत और क्षेत्र के अन्य देशों के खिलाफ अब भी नफरत फैला रहे हैं और खुद को मानवीय गैर सरकारी संगठनों तथा गैर-लाभकारी संगठनों के रूप में पेश करके धन जुटा रहे हैं।
भारतीय राजनयिक ने आतंकवाद के वित्तपोषण के ऐसे गैर-पारंपरिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र निगरानी दल और वित्तीय कार्रवाई कार्यबल की तत्काल जरूरत को रेखांकित किया।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)