नयी दिल्ली, चार अक्टूबर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत को सैन्य और असैन्य दोनों एजेंसियों के लिए दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है तथा अत्याधुनिक रक्षा प्लेटफार्मों के निर्माण के लिए अनुसंधान और विकास पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वैश्विक सुरक्षा चिंताओं, सीमा विवादों और समुद्री क्षेत्र के घटनाक्रमों के मद्देनजर दुनिया भर में सैन्य उपकरणों की मांग बढ़ रही है और भारत को अपने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि सामरिक मामलों, सैन्य शक्ति, व्यापार, अर्थव्यवस्था और संचार के क्षेत्रों में देखे गए परिवर्तनों से दुनिया का कोई भी कोना अछूता नहीं है।
हालांकि, इन बदलावों के बारे में उन्होंने विस्तार से कुछ नहीं कहा।
सिंह ने कहा, ‘‘दुनिया भर के देश सैन्य आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और वैश्विक सुरक्षा चिंताओं, सीमा विवादों और समुद्री क्षेत्र में घटनाक्रमों के मद्देनजर सैन्य उपकरणों की मांग बढ़ गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज, जब हम रक्षा उपकरणों के विकास के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी के बारे में बात कर रहे हैं, तो यह हमारी सबसे बड़ी चिंता है कि हम उन्हें नई भूमिका के लिए तैयार करें।’’
रक्षा मंत्री ने सैन्य उपकरणों के निर्माण के लिए अनुसंधान और विकास पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की आवश्यकता है ताकि सैन्य और असैन्य दोनों पक्षों को लाभ हो। हमें अपने सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराने के लिए अनुसंधान और विकास पर विशेष ध्यान देना होगा।’’
सिंह ने कहा कि नैनो-प्रौद्योगिकी, क्वांटम कम्प्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक तकनीक जैसी भविष्य की तकनीकों पर ध्यान देने के साथ काम चल रहा है
उन्होंने कहा, ‘‘हम न केवल अपनी घरेलू सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़े हैं बल्कि विदेशों को प्रौद्योगिकी और उपकरण निर्यात करने की दिशा में भी आगे बढ़े हैं।’’
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