जरुरी जानकारी | जेट एयरवेज के पूर्व कर्मचारियों को बकाया भुगतान करने का एनसीएलएटी का आदेश बरकरार

नयी दिल्ली, 30 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें जेट एयरवेज को पूर्व कर्मचारियों के भविष्य निधि तथा ग्रेच्युटी के बकाया भुगतान का निर्देश दिया गया था। यह आदेश नकदी संकट से जूझ रही एयरलाइन के नए मालिक जालान-फ्रिच गठजोड़ के लिए एक बड़ा झटका है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘जो भी इस एयरलाइन से जुड़ने जा रहा है उसे यह पता होगा कि इस पर कर्मचारियों का बकाया है। कर्मचारियों का बकाया हमेशा तरजीह पाता है। कहीं तो, कुछ तो अंतिम होना चाहिए। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते।’’

इस तरह शीर्ष न्यायालय ने गठजोड़ की तरफ से दायर याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और एनसीएलटी के आदेश को बरकरार रखा।

मामले पर सुनवाई शुरू होने पर गठजोड़ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल ने कहा कि उन्हें 200 करोड़ रुपये की राशि अलग रखनी होगी और फिर एयरलाइन को दोबारा खड़ा कर पाना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्ज समाधान प्रक्रिया को मंजूरी मिल जाने के बाद उसे न तो वापस लिया जा सकता है और न ही उसमें कोई बदलाव हो सकता है।

कर्ज में डूबी जेट एयरवेज के दिवाला प्रक्रिया में जाने के बाद इसके कई कर्मचारियों ने इस्तीफा दिया था। इस तरह के 270 कर्मचारियों के संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ एग्रिव्ड वर्कमैन ऑफ जेट एयरवेज’ की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का यह आदेश नई दिशा तय करने वाला है और उन सभी कर्मचारियों के लिए रोशनी की किरण देने वाला है जो कानूनी उलझनों में फंसे हुए हैं।’’

एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ अपील मुरारी लाल जालान और फ्लोरियन फ्रिच के गठजोड़ की ओर से दायर की गई थी।

न्यायाधिकरण ने गत 21 अक्टूबर को इस गठजोड़ को निर्देश दिया था कि वह एयरलाइन के कर्मचारियों को भविष्य निधि तथा ग्रेच्युटी बकाया का भुगतान करे।

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