श्रीनगर, 24 दिसंबर नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के विधायक सलमान सागर ने आरक्षण नीति के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए पार्टी सांसद आगा रूहुल्लाह मेहदी पर मंगलवार को निशाना साधा।
सागर ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा कि रूहुल्लाह ने नेशनल कांफ्रेस के ‘दुश्मनों’ को एक मुद्दा प्रदान करके पार्टी के हितों को नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने कहा, “आगा रूहुल्लाह ने जो किया, वह गलत था। मेरी राय में ऐसा नहीं होना चाहिए था। इस विरोध-प्रदर्शन के जरिये उन्होंने नेशनल कांफ्रेस के दुश्मनों को एक मुद्दा दिया है।”
रूहुल्लाह जम्मू-कश्मीर में मौजूदा आरक्षण नीति के खिलाफ मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आवास के बाहर सोमवार को छात्रों के विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुए थे। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ्ती और वहीद पारा उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने इस विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।
घर में नजरबंद अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने भी आरक्षित श्रेणियों के लिए कोटा को ‘तर्कसंगत बनाने’ की प्रदर्शनकारियों की मांग के प्रति समर्थन जताया था।
प्रदर्शनकारी छात्रों से मुलाकात के बाद उमर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था कि छात्रों के साथ बातचीत का मार्ग ‘‘बिना किसी मध्यस्थ के’’ खुला रहेगा।
सागर ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन में रूहुल्लाह की मौजूदगी ने सामान्य श्रेणी के छात्रों के हित को ‘‘फायदा कम और नुकसान ज्यादा’’ पहुंचाया है।
हजरतबल से विधायक सागर ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र नहीं है। हर पार्टी में अनुशासन है, उन्हें (रूहुल्लाह) आंतरिक स्तर पर अपनी चिंताएं उठानी चाहिए थी। आप इस तरह के हथकंडों से मुख्यमंत्री और अपनी पार्टी का अपमान नहीं कर सकते।”
हालांकि, सागर ने कहा कि वह आरक्षण को तर्कसंगत बनाने की सामान्य श्रेणी के छात्रों की मांग का समर्थन करते हैं।
उन्होंने सोमवार को हुए विरोध-प्रदर्शन में रूहुल्लाह की मौजूदगी के बाद पार्टी में टकराव को लेकर लगाई जा रही अटकलों को खारिज किया।
सागर ने कहा, “क्या आपको कोई अन्य नेकां नेता वहां दिखा? वह (रूहुल्लाह) एक सांसद की हैसियत से वहां मौजूद थे। आप किसी प्रतिबद्ध नेकां नेता को इस तरह के विरोध-प्रदर्शनों में नहीं देखेंगे।”
इस बीच, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री से आरक्षण के मुद्दे को हल करने का रास्ता खोजने का मंगलवार को आह्वान किया।
महबूबा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों, खासकर युवाओं ने बड़ी तादाद में नेशनल कांफ्रेंस के पक्ष में मतदान किया, ताकि आरक्षण को तर्कसंगत बनाया जा सके और किसी का अधिकार न छीना जाए।
उन्होंने कहा, “हम इसे लेकर कोई राजनीति नहीं करना चाहते, लेकिन हम ‘ओपन मेरिट’ वाले छात्रों को पीछे धकेल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने छह महीने का समय मांगा है। उनके (नेकां) लद्दाख के सांसद सहित तीन सांसद और 50 विधायक हैं। उन्हें छह महीने क्यों चाहिए? उन्हें लगता है कि अदालत का फैसला आ जाएगा और उन्हें कुछ नहीं करना पड़ेगा।”
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