मुंबई, 30 नवंबर कथित वीजा धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार भारतीय नौसेना के अधिकारी को मुंबई की एक अदालत ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि आरोपी जून 2023 से हिरासत में है और उसके खिलाफ सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीएम पथाडे ने लेफ्टिनेंट कमांडर विपिन डागर की जमानत अर्जी 25 नवंबर को स्वीकार कर ली।
पुलिस का आरोप है कि डागर के पास अलग-अलग व्यक्तियों के नाम पर 14 भारतीय पासपोर्ट, एक स्टाम्प मशीन (जाली मुहर बनाने के लिए विशाखापत्तनम से खरीदी गई) और कुछ प्रतिष्ठानों के 108 रबर स्टाम्प पाए गए हैं।
पुलिस के मुताबिक, नागर ने मामले में सह-आरोपियों के लिए पासपोर्ट/वीजा हासिल करने के मकसद से जाली दस्तावेज बनाने में रबर शीट का भी इस्तेमाल किया।
पुलिस ने दावा किया कि डागर ने नौसेना की अपनी वर्दी में कोरियाई दूतावास के परिसर में प्रवेश किया, संबंधित अधिकारी पर दबाव बनाने की कोशिश की और उसके साथ अभद्र व्यवहार किया, जो एक लोक सेवक से अपेक्षित नहीं है।
पुलिस ने कहा, "अपराध में याचिकाकर्ता की बड़ी भूमिका है, जो एक नौसेना अधिकारी के लिए अशोभनीय है।"
अभियोजन पक्ष ने कहा कि जांच एजेंसी ने कथित अपराध में डागर की संलिप्तता का खुलासा करने के लिए पर्याप्त सामग्री जुटाई है।
डागर के वकील सुनील पांडे ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को मामले में फंसाया गया है।
उन्होंने कहा, "आरोपी को गिरफ्तार करते समय पुलिस ने गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया।"
बचाव पक्ष ने जमानत के लिए अपनी दलीलों के समर्थन में उच्चतम न्यायालय के कई ऐतिहासिक फैसलों का हवाला दिया।
पांडे ने कहा, "प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता, क्योंकि डागर न तो लाभार्थी हैं और न ही उन्हें कोई लाभ हुआ है।"
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद माना कि डागर और सह-आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
उसने कहा, "याचिकाकर्ता 28 जून 2023 से हिरासत में है, सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है और निकट भविष्य में इसके पूरा होने की कोई संभावना नहीं है।"
अदालत ने कहा, "शीर्ष अदालत के फैसलों के आलोक में मेरी यह राय है कि याचिकाकर्ता उपयुक्त शर्तों के अधीन जमानत पाने का हकदार है।"
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)