नयी दिल्ली, 15 सितंबर कोविड-19 पर गठित राष्ट्रीय कार्यबल और स्वास्थ्य मंत्रालय का संयुक्त निगरानी समूह (जेएमजी) इस बात पर निर्णय लेंगे कि देश में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थैरेपी को जारी रखा जाए अथवा नहीं?
भारतीन आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मंगलवार को कहा कि उसकी निगरानी में किए गए परीक्षण के आंकड़ों की समीक्षा के बाद इस बारे में फैसला किया जाएगा।
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आईसीएमआर के निदेशक डॉ बलराम भार्गव ने प्रेसवार्ता में कहा कि अलग-अलग जगहों पर किए गए नियंत्रित परीक्षण से सामने आया है कि प्लाज्मा थैरेपी मौत के मामलों को कम करने अथवा मध्यम से गंभीर बीमारी की प्रगति को रोकने में मददगार नहीं है।
इस परीक्षण में 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 25 जिलों के 39 अस्पतालों में 464 मरीज शामिल रहे।
भार्गव ने कहा कि प्लाज्मा थैरेपी का उपयोग 100 वर्षों से भी अधिक समय से किसी न किसी रूप में विभिन्न वायरस संक्रमणों के लिए किया जा रहा है।
इबोला वायरस के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया गया था और कोविड-19 महामारी के बीच भी इसका इस्तेमाल किया गया।
उन्होंने कहा, '' इसका लाभ है अथवा नहीं इस बारे में अध्ययन किया जा रहा है।''
आईसीएमआर की निगरानी में किए गए परीक्षण के निष्कर्षों को लेकर भार्गव ने कहा कि यह एक पूर्व-प्रकाशित संस्करण है जोकि अभी समीक्षा प्रक्रिया से गुजर रहा है।
उन्होंने कहा कि समीक्षा प्रक्रिया के बाद उपलब्ध आंकड़ों पर राष्ट्रीय कार्यबल और जेएमजी के विचार करने के बाद यह निर्णय लिया जाएगा कि प्लाज्मा थैरेपी को जारी रखा जाए या नहीं।
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