नयी दिल्ली, 12 जून राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) का एक दल राज्य को शेष भारत से जोड़ने वाले स्वदेशी आस्था के स्थानों का पता लगाने के लिए विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश के तिब्बत-चीन क्षेत्र की सीमा से लगे प्राचीन स्मारकों का दौरा करेगा।
दल 14 जून से 18 जून के बीच राज्य का दौरा करेगा।
संस्कृति मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा, ‘‘यह दल स्थानीय जनजातीय नेताओं से भी मुलाकात करेगा ताकि उन आस्था के स्थानों का पता लगाया जा सके जो अरुणाचल प्रदेश को किंवदंतियों और मौखिक इतिहास के जरिए देश के अन्य हिस्सों से जोड़ते हैं।’’
एनएमए के दल में उसके अध्यक्ष तरुण विजय के अलावा दो अन्य सदस्य हेमराज कामदारंद और प्रोफेसर कैलाश राव शामिल होंगे।
विजय ने कहा कि इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है जिन्होंने रुक्मिणी की विरासत के इर्दगिर्द बुने गए सांस्कृतिक धागों को मजबूत करते हुए अरुणाचल से गुजरात के पोरबंदर तक वार्षिक यात्रा की शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश विरासत संरक्षण के क्षेत्र में और राष्ट्रीय पुरातात्विक स्थलों को केंद्रीय रूप से संरक्षित नए स्मारकों के तौर पर सूचीबद्ध किए जाने के मामले में पिछड़ गया है।
बयान में कहा गया है, ‘‘एनएमए का दल गांव के बुजुर्गों और विभिन्न जनजातीय नेताओं से मुलाकात करेगा। उन सभी के पास धर्म को लेकर और मुख्यभूमि भारत के साथ प्राचीन स्मारकों के जरिए सांस्कृतिक जुड़ाव के बारे में बेहतरीन कहानियां हैं।’’
इस दौरे के बाद संस्कृति मंत्री और प्रधानमंत्री को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी, जिसमें नए स्थानों को केंद्र-संरक्षित स्मारकों की सूची में जोड़े जाने का सुझाव दिया जाएगा और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के संदर्भ में राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने वाले सांस्कृतिक पर्यटक स्थलों की पहचान की जाएगी।
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