Narada Sting Case: सीबीआई ने तृणमूल के तीन विधायकों समेत पार्टी के पूर्व नेता को गिरफ्तार किया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता फरहाद कीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा के साथ पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी को नारद स्टिंग मामले में कोलकाता में गिरफ्तार किया। अधिकारियों ने इस बारे में बताया।
कोलकाता/ नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता फरहाद कीम (Farhad Kim), सुब्रत मुखर्जी (Subrata Mukherjee,) और मदन मित्रा (Madan Mitra) के साथ पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी (Shobhan Chatterjee) को नारद स्टिंग मामले (Narada Sting Case) में कोलकाता में गिरफ्तार किया. अधिकारियों ने इस बारे में बताया. नारद स्टिंग मामले में कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर धन लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ था. West bengal: 16 से 30 मई तक संपूर्ण लॉकडाउन, केवल जरूरी सेवाएं रहेंगी जारी
अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई इसलिए की गयी क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी स्टिंग टेप मामले में अपना आरोपपत्र दाखिल करने वाली है. चारों नेताओं को सोमवार सुबह कोलकाता के निजाम पैलेस में सीबीआई कार्यालय ले जाया गया. इन नेताओं की गिरफ्तारी की खबरें आने के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने नेताओं के साथ सीबीआई कार्यालय पहुंच गयीं.
हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी लेने के लिए सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का रुख किया था. वर्ष 2014 में कथित अपराध के समय ये सभी मंत्री थे. धनखड़ ने चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी जिसके बाद सीबीआई अपना आरोपपत्र तैयार कर रही है और उन सबको गिरफ्तार किया गया.
हकीम, मुखर्जी और मित्रा तीनों हालिया विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए हैं. वहीं, बीजेपी से जुड़ने के लिए चटर्जी ने तृणमूल कांग्रेस छोड़ दी थी और दोनों खेमे से उनका टकराव चल रहा है. नारद टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए. यह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के पहले सार्वजनिक हुआ था. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में मार्च 2017 में सीबीआई जांच का आदेश दिया था.
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