गलवान घाटी में शहीद हुए 20 जवानों के नाम राष्ट्रीय समर स्मारक पर लिखे गए
राष्ट्रीय समर स्मारक (Photo Wikimedia Commons)

नई दिल्ली: पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हुए 20 भारतीय सैन्य कर्मियों के नाम गणतंत्र दिवस के पहले राष्ट्रीय समर स्मारक पर अंकित किए गए. आधिकारिक सूत्रों ने इस बारे में बताया. गलवान घाटी में 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी संतोष बाबू समेत 20 भारतीय सैन्यकर्मी 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हो गए थे. दोनों देशों की सेनाओं के बीच दशकों में यह सबसे बड़ा टकराव हुआ था.

चीन ने झड़प में मारे गए और घायल हुए अपने सैनिकों की संख्या के बारे में खुलासा नहीं किया लेकिन आधिकारिक तौर पर माना था कि उसके सैनिक भी हताहत हुए. अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सेना के 35 कर्मी हताहत हुए.

गलवान घाटी में झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव और बढ़ गया जिसके बाद दोनों सेनाओं ने टकराव वाले कई स्थानों पर अपने-अपने सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर दी. एक सूत्र ने बताया, ‘‘गलवान घाटी के नायकों के नाम राष्ट्रीय समर स्मारक पर अंकित किए गए हैं.’’

इनमें से कुछ सैनिकों को गणतंत्र दिवस पर वीरता पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की भी संभावना है. चीनी सैनिकों ने झड़प के दौरान पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था. यह झड़प उस वक्त हुई थी जब गलवान घाटी में गश्ती स्थल 14 के आसपास चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाए जाने का भारतीय सैनिकों ने विरोध किया.

भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में पोस्ट 120 में गलवान के योद्धाओं के लिए एक स्मारक का निर्माण कराया था. स्मारक पर ‘स्नो लेपर्ड’ अभियान के तहत नायकों की बहादुरी का जिक्र है. पिछले साल 17 जुलाई को पूर्वी लद्दाख में लुकुंग अग्रिम चौकी का दौरा करने के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी सैनिकों के साथ मुकाबले में असाधारण पराक्रम दिखाने वाली बिहार रेजिमेंट के सैन्यकर्मियों की सराहना की थी.

भारत और चीन के बीच पिछले आठ महीने से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध चल रहा है. भारतीय सेना ने पहाड़ी क्षेत्र में करीब 50,000 सैनिकों की तैनाती कर रखी है. अधिकारियों के मुताबिक चीन ने भी इतने ही सैनिकों की तैनाती की है. दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को सुलझाने के लिए कई दौर की बातचीत के बावजूद अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है.

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