नयी दिल्ली, 13 जून विदेशी बाजारों में मामूली घट-बढ़ के बीच मंडियों में आवक घटने से बृहस्पतिवार को सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बिकवाली जारी रहने के बीच मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में मामूली घट-बढ़ है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि बुधवार को मंडियों में सरसों की आवक लगभग 5.60 लाख बोरी की हुई थी। उससे एक दिन पहले यह आवक लगभग छह लाख बोरी की थी जो आज घटकर लगभग 5.50 लाख बोरी रह गई। आवक में इस गिरावट की वजह से सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार है।
सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेलों के थोक दाम टूटने के बीच अपनी अधिक लागत वाली फस्लों की कीमत पर दबाव होने के कारण किसानों ने सरसों को सस्ते में बेचने के बजाय उसे रोक रखा है। सरसों की कीमतों में सुधार का यह मुख्य कारण है। पहले के अनुभवों के आधार पर कहा जा सकता है कि अगर वायदा कारोबार खुला रहता तो यही फसल अबतक तमाम हथकंडों के माध्यम से सस्ते में किसानों से हड़प ली गई होती। लेकिन अभी इसकी कमान किसानों के पास है जो अपनी मनमर्जी से जरूरत के हिसाब से फसल बेच रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र की सारी मंडियों में सोयाबीन तिलहन अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (4,600 रुपये क्विन्टल) से नीचे 4,400-4,450 रुपये क्विंटल के भाव बिक रहा है। यह घाटे की खेती किसानों को भारी पड़ रही है जहां सस्ते आयातित खाद्य तेलों के आगे उनकी फसलों का उठाव प्रभावित है। महाराष्ट्र के किसान किसी अन्य लाभ देने वाली फसल की ओर जाने का मन बना रहे हैं। मध्य प्रदेश के किसान भी इसी तरह की बात कर रहे हैं। सवाल उठता है कि इस परिस्थिति में कैसे तिलहन उत्पादन बढ़ेगा? इसके अलावा देश में मुर्गीदाने के लिए डी-आयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग बढ़ रही है। जब सोयाबीन की खेती घटेगी तो डीओसी का उत्पादन भी प्रभावित होगा तो क्या उसे भी आयात से पूरा किया जायेगा? डीओसी के लिए भी देश विदेशी मुद्रा खर्च करेगा?
सूत्रों ने कहा कि देश के प्रमुख खाद्य तेल संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने किस आधार पर तिलहन उत्पादन बढ़ाने का अनुमान जताया है जबकि स्थिति उनकी सोच से उलट है। देशी सूरजमुखी तिलहन एमएसपी से 15-20 प्रतिशत नीचे दाम पर बिक रहा है। सोयाबीन (लगभग पांच प्रतिशत नीचे दाम पर), मूंगफली भी एमएसपी से कम दाम पर बिक रहा है। तेल संगठन को तो इसके बारे में बोलना चाहिये था कि इस स्थिति से किसान कितना बेहाल हैं। ऐसी प्रतिकूल स्थितियों के बीच तिलहन उत्पादन बढ़ने का एसईए के अनुमान तर्कसंगत नहीं बैठता।
सूत्रों ने कहा कि सरसों रबी की फसल है और सोयाबीन, मूंगफली और सूरजमुखी खरीफ की फसल है। जब सोयाबीन, मूंगफली और सूरजमुखी एमएसपी से कम दाम पर बिक रहे हों तो ऐसे में खरीफ तिलहन उत्पादन बढ़ने का अनुमान हकीकत का रूप ले तो कहीं बेहतर होगा।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,040-6,100 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,125-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,650 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,220-2,520 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 11,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,890-1,990 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,890-2,015 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,850 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,225 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,950 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,950 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,730-4,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,530-4,650 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।
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