मुंबई, 31 अक्टूबर : फुटपाथ पर सो रहे दो लोगों की बिना किसी स्पष्ट कारण के महज 15 मिनट की अवधि में हत्या के 40 वर्षीय आरोपी की गिरफ्तारी ने मुंबई पुलिस को 2016 से ऐसी ही परिस्थितियों में हुई हत्याओं के अनसुलझे मामलों पर फिर से गौर करने के लिए प्रेरित किया है. आरोपी सुरेश शंकर गौड़ा को 23 अक्टूबर को इन निर्मम हत्याओं के एक घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया था. इस मामले ने ‘सीरियल किलर’ रमन राघव की याद ताजा कर दी जिसे 1968 में शहर में गिरफ्तार किया गया था और जिसकी कहानी पर आधारित नवाजुद्दीन सिद्दीकी अभिनीत 2016 की फिल्म ‘‘रमन राघव 2.0’’ बनी थी. पुलिस ने जिस समय गौड़ा को पकड़ा तब वह खाना खा रहा था. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘जब हमने उसे पकड़ा तो उसने कोई पछतावा नहीं था....’’ पुलिस के अनुसार पड़ोसी राज्य कर्नाटक के हासन जिले का रहने वाला गौड़ा मुंबई में कचरा बीनकर और उससे कबाड़ सामग्री इकट्ठा कर अपना जीवन यापन करता है.
हत्या की ये घटनाएं शाम के समय हुईं जब मध्य मुंबई की सड़कें सुनसान नहीं होती हैं. सीसीटीवी फुटेज में गौड़ा हाथ में पॉलीथिन बैग लिए कथित तौर पर भायखला फल बाजार के पास फुटपाथ पर चलते हुए दिखा. शाम करीब सात बजकर 50 मिनट पर वह सड़क किनारे सो रहे एक व्यक्ति के सिर पर ईंट से वार करते और फिर आगे बढ़ते दिखा. उसका अगला शिकार करीब एक किलोमीटर दूर सरकारी जे जे अस्पताल के गेट नंबर 14 के पास सो रहा एक व्यक्ति था. पुलिस ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में रात आठ बजकर पांच मिनट पर गौड़ा को व्यक्ति के सिर पर चार बार पत्थर से वार करते देखा गया. दोनों जगहों पर आस-पास लोग थे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और न ही बीच-बचाव किया. यह भी पढ़ें : ‘Iron Lady of India: कांग्रेस ने इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि
इन घटनाओं के बारे में फोन पर सूचना मिलने के बाद वरिष्ठ निरीक्षक सुभाष बोराटे, निरीक्षक लक्ष्मीकांत सालुंखे और सहायक निरीक्षक अविनाश पोर के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हत्यारे का पीछा किया. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि रात करीब नौ बजे गौड़ा जेजे फ्लाईओवर के नीचे एक ठेले के बगल में खाना खाते हुए पाया गया, जिसे वह अपने साथ पॉलिथीन बैग में लाया था. जांच में पता चला कि उसे 2015 में कुर्ला इलाके में फुटपाथ पर सो रहे एक व्यक्ति की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘अब हम 2016 के बाद से फुटपाथों या सड़कों पर हत्या के ऐसे अनसुलझे सभी मामलों की समीक्षा कर रहे हैं.’’
सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त रमेश महाले ने कहा कि हत्या की इन घटनाओं ने 1968 में मुंबई की सड़कों पर बेघर लोगों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए रमन राघव की याद ताजा कर दी. गौड़ा को हत्याओं के लिए कोई पछतावा नहीं है, हो सकता है उसे कुछ मनोवैज्ञानिक समस्या हो, लेकिन यह चिकित्सा जांच में ही साबित हो पाएगा. फोरेंसिक साइकोलॉजिस्ट दीप्ति पुराणिक ने कहा कि आरोपी ‘स्प्री किलर’ यानी ऐसा व्यक्ति प्रतीत होता है जिसे हत्या करने में आनंद आता है और उसे भावनात्मक रूप से कोई पछतावा नहीं होता. ऐसा व्यक्ति ऐसी घटनाओं को अंजाम देने के बाद भी महीनों तक भावनात्मक रूप से शांत मानसिक स्थिति में रह सकता है.