देश की खबरें | भाजपा के ‘अन्याय काल’ में एमएसएमई क्षेत्र तबाह हो गया: कांग्रेस

नयी दिल्ली, 13 मई कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 10 वर्ष के ‘अन्याय काल’ में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र पूरी तरह से बर्बाद हो गया।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि भाजपा सरकार में ‘राजनीतिक बन चुका’ एमएसएमई बोर्ड सरकार को एमएसएमई नीति पर कोई गंभीर सलाह कैसे दे सकता है?

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसका जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 30 प्रतिशत और निर्यात में 40 प्रतिशत योगदान होता है। इस क्षेत्र में 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। लेकिन, भारत के छोटे व्यवसायों के लिए पिछले 10 वर्ष का अन्याय काल बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। मोदी सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है। इसकी दुर्भावना से भरी एमएसएमई विरोधी नीतियों ने इस क्षेत्र को तबाह कर दिया है।’’

उन्होंने कहा कि यह तथ्य है कि पिछले 10 साल में नरेंद्र मोदी ने केवल अपने कुछ गिने-चुने पूंजीपति मित्रों के लिए काम किया है।

रमेश ने दावा किया, ‘‘नतीजा यह है कि एमएसएमई का जीडीपी में दशकों में सबसे कम योगदान रहा है और (इस क्षेत्र को) सबसे अधिक कर दर का सामना करना पड़ा है। इस क्षेत्र में नौकरी की संख्या में भारी कमी आई है। हजारों एमएसएमई बंद हो रहे हैं।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी का एमएसएमई पर सबसे बुरा असर पड़ा, गलत जीएसटी से एमएसएमई को सबसे अधिक नुकसान हुआ, मित्र पूंजीपतियों के हित में नीतियां बनायी गईं, एमएसएमई को 45 दिन में पेमेंट के प्रावधान वाली गलत नीति बनी, चीनी सामानों की अनियंत्रित डंपिंग की गई तथा एमएसएमई बोर्ड पर भाजपा के मित्रों का कब्जा हो गया।

उनका कहना था, ‘‘एमएसएमई बोर्ड एमएसएमई मंत्रालय को नीति और धन के इस्तेमाल को लेकर सलाह देता है। इसका उद्देश्य भारत के छोटे व्यवसायों की आवाज को सरकार के समक्ष उठाना और यह सुनिश्चित करना है कि उनके हितों को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाई जाएं।’’

रमेश ने दावा किया कि एमएसएमई बोर्ड के 20 सदस्यों में से 19 सीधे तौर पर भाजपा से जुड़े हुए हैं।

उन्होंने सवाल किया कि पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका यह बोर्ड सरकार को एमएसएमई नीति पर कोई गंभीर सलाह कैसे दे सकता है?

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि भाजपा को शासन की कम और सत्ता को केंद्रित करने एवं अपने साथियों को संतुष्ट करने की अधिक परवाह है।’’

हक

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