MP Urine Scandal: राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ आरोपी की पत्नी पहुंची अदालत, राज्य सरकार व सीधी के कलेक्टर को नोटिस
मधय प्रदेश के सीधी जिले में एक आदिवासी व्यक्ति पर कथित तौर पर पेशाब करने के आरोपी प्रवेश शुक्ला पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा.
जबलपुर, 17 जुलाई: मधय प्रदेश के सीधी जिले में एक आदिवासी व्यक्ति पर कथित तौर पर पेशाब करने के आरोपी प्रवेश शुक्ला पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा. यह भी पढ़ें: Food Poisoning in Telangana: निजी कॉलेज में छात्रावास का खाना खाने से 40 छात्र बीमार, हॉस्पिटल में भर्ती
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की पीठ ने राज्य सरकार और सीधी के कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया और मामले की अगली सुनवाई के लिए एक अगस्त की तारीख निर्धारित की. आरोपी प्रवेश शुक्ला की पत्नी कंचन शुक्ला की ओर से दायर रिट याचिका में कहा गया है कि उनके पति के खिलाफ गलत तरीके से रासुका लगाया गया है.
आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने का वीडियो चार जुलाई को वायरल होने के बाद शुक्ला को अगले दिन गिरफ्तार कर लिया गया था. कंचन शुक्ला की याचिका में कहा गया है कि प्रवेश शुक्ला एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता हैं और विपक्ष ने उनके खिलाफ माहौल तैयार किया और कहानी बनाई.
उन्होंने यह भी दलील दी है कि उनके पति ने अतीत में कुछ छोटे-मोटे अपराधों को छोड़कर कोई गंभीर अपराध नहीं किया है.
कंचन शुक्ला ने अपनी याचिका में कहा कि प्रवेश शुक्ला पर जिस अपराध का आरोप लगाया गया है, उसके लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में प्रावधान उपलब्ध हैं. याचिका में कहा गया है कि पांच जुलाई को लगाया गया रासुका संविधान के अनुच्छेद 21 (कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा) के खिलाफ है.
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