'Mother's Day': हाल में मां बनीं महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता

इस बार 'मदर्स डे' पर हाल में मां बनीं महिलाएं अपने दैनिक जीवन में व्यायाम और कुछ अन्य नयी चीजों की शुरुआत कर इस विशेष दिन को बेहतर तरीके से मना सकती हैं.

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits ANI)

सेंट कैथरीन्स/मॉन्ट्रियल (कनाडा), 8 मई : इस बार 'मदर्स डे' (Mother's Day) पर हाल में मां बनीं महिलाएं अपने दैनिक जीवन में व्यायाम और कुछ अन्य नयी चीजों की शुरुआत कर इस विशेष दिन को बेहतर तरीके से मना सकती हैं. छोटे बच्चों की माताओं को अन्य लोगों की तुलना में आराम करने और शारीरिक व्यायाम करने का बेहद कम मौका मिलता है, जिसका उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए, इस बार मदर्स डे के अवसर पर ऐसी माताओं को उनके परिजन आराम देकर, व्यायाम के लिए प्रेरित कर और स्वयं पर ध्यान देने की जरूरत का महत्व समझाकर उन माताओं के लिए यह दिन खास बना सकते हैं.

शोधकर्ताओं की एक टीम ने लगभग 10 वर्षों तक मातृत्व में रहने वाली महिलाओं के जीवन में आए बदलावों का अध्ययन किया है. उन्होंने इस बात का अध्ययन किया है कि मातृत्व महिलाओं के जीवन को कैसे समृद्ध करता है. इसके अलावा वैज्ञानिकों ने "अच्छी मां" होने की समाज की धारणा को भी चुनौती दी है. महिलाओं के मातृत्व जीवन में मातृत्व अवकाश कानून, बच्चों की देखभाल और अवकाश सेवाओं तक उनकी पहुंच संबंधी नीतियों की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है. शोधकर्ताओं ने हाल में मां बनी कई महिलाओं से बातचीत की है. अधिकतर महिलाओं ने जरूरत के अनुसार आराम नहीं मिलने और शारीरिक गतिविधियों की कमी होने की बात कही है और इसकी मांग की है ताकि वे खुद को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के अलावा तनावमुक्त भी रह सकें तथा उनका जीवन आत्मविश्वास से भरा रहे. यह भी पढ़ें :मगरमच्छ ने बनाया आठ साल के लड़के को निवाला, ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन

शोधकर्ताओं का कहना है कि कुछ महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने के अलावा खुद के लिए भी समय निकाल लेती हैं जबकि कुछ महिलाएं अधिकतर समय अपने बच्चों की देखरेख में जुटे होने के कारण खुद पर ध्यान नहीं दे पाती हैं. लेकिन हकीकत यह है कि बच्चे को जन्म देने के बाद सभी महिलाओं को खुद के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने का समय नहीं मिल पाता है. शोधकर्ताओं ने अपने हालिया अध्ययन में गर्भावस्था से लेकर बच्चे के जन्म के 18 महीने बाद तक महिलाओं के दैनिक जीवन पर अध्ययन किया है. शोध में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद के अपने जीवन को लेकर जिन उम्मीदों की कल्पना करती हैं, वास्तविकता में वे उम्मीदें पूरी तरह से बदल जाती हैं.

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