नयी दिल्ली, 21 अगस्त देश की मंडियों में सरसों और सोयाबीन तिलहन की काफी कम आवक की वजह से खाद्य तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों, सोयाबीन सहित अधिकांश तेल-तिलहन (कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल) के भाव मजबूत बंद हुए। नई फसल की आवक की सुगबुगाहट के बीच महंगे दाम वाले मूंगफली तेल-तिलहन गिरावट के साथ बंद हुए।
शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में सुधार का रुख है।
सूत्रों ने कहा कि सरसों की आवक आज घटकर लगभग एक लाख बोरी रह गई। इसी प्रकार सोयाबीन की आवक भी घटकर लगभग एक लाख पांच हजार बोरी रह गई। इसके बाद थोड़ी त्योहारी मांग की वजह से अन्य तेल-तिलहन के भाव भी मजबूत हो गये।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, खरीफ कपास खेती का रकबा कम हुआ है। कपास खेती का रकबा पहले के 122.15 लाख हेक्टेयर से घटकर 111.07 लाख हेक्टेयर रह गया है।
सूत्रों ने कहा कि जिस तरह सरकार ने यह व्यवस्था की है कि दूध बिक्री करने के लिए लाइसेंस लेना आवश्यक होगा, उसी तरह सरकार को बिनौला के नकली खल की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए इसका कारोबार करने वालों के लिए लाइसेंस लेने की व्यवस्था करनी चाहिये। साथ ही इस बिनौला खल पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) भी लगाना चाहिये क्योंकि इस कारोबार पर जीएसटी की छूट होने की वजह से भी नकली बिनौला खल का धंधा फल-फूल रहा है।
सूत्रों ने कहा कि इस नकली बिनौला खल की वजह से ही किसान हतोत्साहित होकर अपना उत्पादन घटा रहे हैं। यह देश के लिए अच्छी स्थिति नहीं है। वायदा कारोबार के पैराकारों को इस बात से लगता है कि कोई मतलब नहीं है कि जितना सौदा वायदा कारोबार में हो रखा है, उतना माल उसके पास नहीं है। जब बिनौला खल का हाजिर भाव 4,200-4,250 रुपये क्विंटल है तो एनसीडीईएक्स के वायदा कारोबार में सितंबर अनुबंध वाले बिनौला खल का भाव 3,280 रुपये क्विंटल कैसे चल रहा है। उन्हें इस बात से भी मतलब नहीं है कि ये खल नकली है या असली, जिसका भाव हाजिर कीमत से इतना नीचे है। या फिर वायदा कारोबार में सिंडिकेट बनाकर दाम तोड़ा जाता है और किसानों से उनके फसल की लूट की जा रही है।
उन्होंने कहा कि बिनौला खल का वायदा कारोबार बंद करना चाहिये और ऐसा करना कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए जरूरी होगा। नहीं तो पिछले साल भी कपास का रकबा घटा है और इस बार भी रकबा कम है। ऐसे में बिनौला खल की मांग कहां से पूरी होगी? सरकार को इस बात पर गौर करना होगा कि तिलहनों के वायदा कारोबार पर रोक के बाद भी तिलहनों का उत्पादन नहीं घटा है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,050-6,090 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,375-6,650 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,200 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 11,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,900-2,000 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,900-2,025 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,850 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,650 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,225 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,360-4,390 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,170-4,295 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,150 रुपये प्रति क्विंटल।
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