नयी दिल्ली: देश के विभिन्न हिस्सों में एक मई से ‘श्रमिक विशेष’ रेलगाड़ियों के माध्यम से करीब 70 हजार फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाया गया है और इस पर 50 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया है. यह जानकारी मंगलवार को रेलवे अधिकारियों ने दी. श्रमिकों की यात्रा का मुद्दा राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मामला बन गया है जिसमें कांग्रेस और बसपा के नेताओं ने रेलवे पर इन प्रवासी श्रमिकों से टिकट के पैसे लेने के आरोप लगाए हैं. इस बीच गोवा सहित कई राज्यों में लाखों श्रमिकों ने अपने घरों को लौटने के लिए पंजीकरण कराया है. गोवा में करीब 80 हजार श्रमिकों ने पंजीकरण कराया है जिनमें अधिकतर उत्तरप्रदेश और बिहार के हैं. वहीं गोवा और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों ने इन श्रमिकों से अपील की है कि कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन के मद्देनजर वे राज्य से बाहर नहीं जाएं और उन्हें काम मुहैया कराने का आश्वासन भी दिया है.
रेलवे के सूत्रों ने कहा कि रेलवे को विशेष रेलगाड़ियों की हर सेवा के लिए करीब 80 लाख रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं और इसने इस तरह की 67 रेलगाड़ियां चलाई हैं जिसमें एक मई से करीब 67 हजार फंसे श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया. इस पर 50 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया है. एक दिन पहले कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने प्रवासी श्रमिकों से यात्रा के लिए पैसे लेने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार और रेलवे पर करारा हमला किया था. बहरहाल रेलवे ने यह खुलासा नहीं किया कि इन रेलगाड़ियों को चलाने पर उसने कितना खर्च किया लेकिन सरकार ने कहा है कि लागत को राज्यों के साथ 85: 15 के अनुपात में साझा किया गया है. रेलवे के अधिकारियों ने यह भी संकेत दिए कि पहले 34 रेलगाड़ियों के लिए 24 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं जबकि राज्यों ने साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च किए हैं. बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कहा कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि केंद्र और राज्य सरकारें फंसे प्रवासी श्रमिकों से किराया वसूल रही हैं. यह भी पढ़ें: रेलवे ने श्रमिक रेलगाड़ियों में सांप्रदायिक झगड़े, परेशानी करने वालों पर नजर रखने को कहा
उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकारें इन श्रमिकों का किराया देने में हिचकिचा रही हैं तो बसपा अपने कार्यकर्ताओं का सहयोग लेगी और इन श्रमिकों के लिए प्रबंध करेगी.’’ कांग्रेस द्वारा सोमवार को भुगतान करने की पेशकश के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने मंगलवार को दावा किया कि रेलवे ने रेलगाड़ियां चलाकर साढ़े तीन करोड़ रुपये कमाए और ये पैसे गरीब मजदूरों ने दिए. पटेल ने ट्वीट किया, ‘‘रेलवे ने पिछले हफ्ते रेलगाड़ियां चलाकर साढ़े तीन करोड़ रुपये कमाए. यह धन गरीब श्रमिकों से आया जो पिछले दो महीने से कुछ नहीं कमा रहे थे जबकि कुछ फैक्टरियों ने दावा किया कि यह असत्य है. कांग्रेस किसी भी व्यक्ति का समर्थन करने के लिए तैयार है जो इन रेलगाड़ियों का किराया वहन नहीं कर सकता है.’’
इस बीच गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन का टिकट बेचने से मिला धन राज्य सरकार नहीं रखती है बल्कि वह केवल सुविधा मुहैया करा रही है और किराये की राशि रेलवे को भेज रही है. अधिकारियों ने मंगलवार को इन आरोपों को खारिज कर दिया कि यात्रियों से धन वसूला जा रहा है. कांग्रेस के इस दावे के बीच यह बयान आया है कि राज्य सरकार गरीबों और बेरोजगार श्रमिकों को नि:शुल्क यात्रा मुहैया नहीं करा रही है. पिछले कुछ दिनों में गुजरात के विभिन्न रेलवे स्टेशनों से दो दर्जन से अधिक रेलगाड़ियां श्रमिकों को लेकर विभिन्न राज्यों के लिए रवाना हुई हैं. यह भी पढ़ें: लॉकडाउन: प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं के समाधान को लेकर मेधा पाटकर का उपवास जारी
मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव अश्विनी कुमार ने कहा, ‘‘ट्रेन टिकट की बिक्री से मिले धन को गुजरात सरकार नहीं रख रही है. हम यात्रियों को पंजीकरण, परिवहन की सुविधा मुहैया कराने और यात्रियों के सुचारू रूप से ट्रेन में सवार होने में सहयोग कर रहे हैं.’’ राजस्थान से 1,100 से ज्यादा श्रमिकों और तीर्थयात्रियों को लेकर एक ट्रेन पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के दानकुनी पहुंची. यात्रियों का स्वागत फूलों से किया गया. ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचने के बाद उस पर फूलों की बारिश की गई. स्वास्थ्य विभाग ने स्टेशन के बाहर एक शिविर लगाया है और महिलाओं तथा बच्चों समेत 1,186 यात्रियों की जांच की गई.
मध्य रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तेलंगाना के खाटकेसर से 1200 प्रवासी श्रमिकों को लेकर एक विशेष रेलगाड़ी बिहार के खगड़िया पहुंची. उन्होंने कहा कि यात्रियों के ट्रेन में सवार होने से पहले उनकी जांच की गई. इसी तरह आंध्रप्रदेश में विजयवाड़ा के नजदीक रायन्नापाडु से एक ट्रेन महाराष्ट्र के चंद्रपुर के लिए रवाना हुई. अहमदाबाद और सूरत में अपने घर लौटने के लिए बेताब सैकड़ों श्रमिक सड़कों पर उतर आए. अधिकारियों ने बताया कि एक अफवाह के बाद एक हजार से अधिक श्रमिक सामान लिए हुए अहमदाबाद के निकोल इलाके में इकट्ठा हो गए कि उत्तरप्रदेश और बिहार के लिए बसें चलेंगी. कई अन्य सूरत शहर के वारछा इलाके में एकत्रित हो गए. यह भी पढ़ें: COVID-19 लॉकडाउन के कारण श्रमिकों पर गहरा संकट छाया हुआ है: BSP प्रमुख मायावती
उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में स्थानीय पुलिस को श्रमिकों को मनाने में करीब दो घंटे लग गए कि वे व्यस्त चौराहे को खाली कर दें. अपने घरों के लिए निकले हजारों मजदूरों को मध्यप्रदेश में आगे बढ़ने से रोक दिया गया जिससे वे वहीं फंस गए हैं. मध्यप्रदेश प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि इनमें से अधिकतर श्रमिक उत्तरप्रदेश के हैं.