लंदन, 11 मई एक नए अध्ययन के मुताबिक महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के रक्त में ऐसे अणुओं की संख्या ज्यादा होती है जो आसानी से कोरोना वायरस के वाहक बन जाते हैं। इस अध्ययन के जरिए अब यह पता लगाना आसान होगा कि आखिरकार महिलाओं के मुकाबले पुरुष कोरोना वायरस से ज्यादा संख्या में क्यों संक्रमित हो रहे हैं और उनमें संक्रमण से मृत्यु दर क्यों ज्यादा है।
यूरोपीय हार्ट जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि जो मरीज दिल का दौरा पड़ने के कारण एसीई और कुछ अन्य दवाएं ले रहे हैं, उनके रक्त में भी कोरोना वायरस के लिए वाहक एसीई2 एंजाइम की मात्रा कम है।
नीदरलैंड के ग्रोनिंजेन विश्वविद्यालय से जुड़े इस अध्ययन के सह-लेखक एड्रियान वूर्स का कहना है, ‘‘हमारा निष्कर्ष कोविड-19 मरीजों की उक्त दवाएं बंद करने की सलाह नहीं देता है, जैसा कि पहले के कई अध्ययनों में कहा गया है।’’
इससे पूर्व आए अध्ययनों में यह कहा गया था कि उक्त दवाएं लेने से व्यक्ति के रक्त के प्लाजमा में एसीई2 की मात्रा बढ़ जाती है, ऐसे में हृदय रोग से पीड़ित लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।
हमारे अध्ययन के मुताबकि, ऐसा नहीं है। हालांकि हमने सिर्फ प्लाजमा में एसीई2 की सांद्रता पर ही अध्ययन किया है और हृदय उत्तकों और अन्य उत्तकों में इस एंजाइम की मात्रा को अध्ययन में शामिल नहीं किया है।
वूर्स ने कहा, एसीई2 कोशिकाओं की झिल्ली पर लगे रिसेप्टर (ग्राही) हैं। यह कोरोना वायरस के साथ जुड़ जाते हैं और वायरस को अंदर प्रवेश कर स्वस्थ कोशिका को बीमार बनाने में मदद करते हैं।
उन्होंने बताया कि फेफड़ों में एसीई2 ग्राहियों की संख्या बहुत ज्यादा होती है, इसलिए, ऐसा माना जा रहा है कि कोविड-19 के मरीजों को हो रही श्वसन और फेफड़े संबंधी परेशानियों में ये ग्राही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)