नयी दिल्ली, 29 मार्च : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को अकुशल और अप्रशिक्षित हाथों में कृत्रिम मेधा (एआई) जैसी शक्तिशाली प्रौद्योगिकी के जाने और इसके दुरुपयोग के खतरे के प्रति आगाह किया और समाज में गलत सूचना और ‘डीपफेक’ से संबंधित नुकसान पर अंकुश लगाने के लिए एआई-जनित सामग्री के लिए ‘क्या करें और क्या न करें’ को लेकर एक स्पष्ट प्रावधान की वकालत की. माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और अरबपति समाजसेवी बिल गेट्स के साथ एक संवाद में मोदी ने इस पर विस्तार से बात की कि कैसे भारत ने अपने नागरिकों के हित में प्रौद्योगिकी का लोकतांत्रिकरण किया है, जीवन में सुधार के लिए डिजिटल की शक्ति को अपनाया है.
उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि देश चौथी औद्योगिक क्रांति में उल्लेखनीय प्रगति करेगा, जिसके मूल में डिजिटल है. एआई से लेकर डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तक कई विषयों पर चर्चा के दौरान, मोदी ने कहा कि डीपफेक के मामले में यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि एक विशेष डीपफेक सामग्री एआई-जनित है. इसके साथ ही इसके स्रोत के बारे में उचित जानकारी होनी चाहिए. यह भी पढ़ें : धीमे जहर से मुख्तार अंसारी की मौत का शक! परिवार ने की दिल्ली AIIMS में फिर से पोस्टमार्टम कराने की मांग
एक समाज में एआई के नुकसान और डीपफेक के खतरों का हवाला देते हुए उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि उनकी आवाज का भी दुरुपयोग हो सकता है और इसके जरिए लोगों को धोखा दिया जा सकता, उन्हें गुमराह किया जा सकता है, जिससे व्यापक हंगामा हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘इसकी पहचान करना महत्वपूर्ण है कि डीपफेक सामग्री एआई-जनित है और साथ ही इसके स्रोत का भी. शुरुआती दिनों में ये उपाय महत्वपूर्ण हैं. हमें, ‘क्या करें और क्या न करें’ तय करने की आवश्यकता है ... हमें इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा.’’ प्रधानमंत्री ने एआई जैसी शक्तिशाली प्रौद्योगिकी को अकुशल और अप्रशिक्षित हाथों में जाने पर इसके दुरुपयोग के खतरों के बारे में भी बात की.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि हमें गलत सूचना को रोकने के लिए एआई-जनित सामग्री पर स्पष्ट प्रावधान करने होंगे.’’ कृत्रिम मेधा (एआई) के मुद्दे पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसे कोई जादुई उपकरण या कुछ काम करने के लिए लोगों के आलस्य के विकल्प के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. मोदी ने बताया कि कैसे उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन में एआई का इस्तेमाल दुभाषिए के रूप में किया और विभिन्न ओं में अपने संबोधन को विभिन्न कार्यक्रमों में प्रसारित किया. उन्होंने कहा कि चैट-जीपीटी जैसी तकनीक का उपयोग लगातार खुद को बेहतर बनाने के लिए किया जाना चाहिए.