देश की खबरें | मोदी ने 75वें स्वाधीनता दिवस पर नेहरू, आंबेडकर सहित सभी स्वतंत्रता सेनानियों को किया नमन

नयी दिल्ली, 15 अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रविवार को देश की आजादी में प्रमुख भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस से लेकर पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और बाबा साहब आंबेडकर सहित सभी स्वतंत्रता सेनानियों और अपने प्राणों की आहूति देने वाले क्रांतिकारियों को नमन किया।

लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने ने कहा कि ऐसे समय में जब देश आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है आज इन सभी संघर्ष के पुरोधाओं को प्रणाम करने का वक्‍त है जिसके वह हकदार भी हैं।

उन्होंने कहा कि आज आजादी के इस अमृत महोत्‍सव के पावन पर्व पर देश अपने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को, राष्‍ट्र रक्षा में अपने आप को दिनरात खपाने वालों को नमन कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘आजादी को जन आंदोलन बनाने वाले पूज्‍य बापू हों या आजादी के लिए अपना सब कुछ न्‍यौछावर करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चन्‍द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान जैसे महान क्रांतिवीर हों, देश आज उन्हें नमन कर रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘...देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी हों, देश को एकजुट राष्‍ट्र में बदलने वाले सरदार वल्‍लभ भाई पटेल हों, भारत के भविष्‍य की दिशा निर्धारित करने वाले, रास्‍ता तय कराने वाले बाबा साहब आंबेडकर सहित हर व्‍यक्ति को, हर व्‍यक्तित्‍व को देश आज याद कर रहा है। देश इन सभी महापुरुषों का ऋणी है।’’

प्रधानमंत्री ने आजादी की लड़ाई में कुर्बान होने वाली देश की वीरांगनाओं को भी इस अवसर पर याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस कड़ी में उन्होंने झांसी की रानी लक्ष्‍मीबाई, चित्‍तूर की रानी चेन्नम्मा, रानी गाइदिन्ल्यू (नगालैंड) और असम में मातंगिनी हाजरा के पराक्रम को याद किया।

भारत को ‘‘बहुरत्‍ना वसुंधरा’’ बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के हर कोने में और हर कालखंड में ऐसे अनगिनत लोग हैं जिन्होंने इस राष्‍ट्र को बनाया भी है और आगे भी बढ़ाया लेकिन उनके नाम भी शायद इतिहास की तारीख में नहीं होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे अनगिनत लोगों, ऐसे हर व्‍यक्तित्‍व का मैं वंदन करता हूं। उनका अभिनंदन करता हूं।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने सदियों तक मातृभूमि, संस्‍कृति और आजादी के लिए संघर्ष किया और गुलामी की कसक व आजादी की ललक इस देश ने सदियों तक कभी नहीं छोड़ी।

उन्होंने ‘‘जय-पराजय आते रहे लेकिन मनमंदिर में बसी हुई आजादी की आकांक्षा को कभी खत्‍म होने नहीं दी। आज इन सभी संघर्ष के पुरोधा, सदियों के संघर्ष के पुरोधा, उन सबको भी प्रणाम करने का वक्‍त है और वे प्रणाम के हकदार भी हैं।’’

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