विदेश की खबरें | मोदी ने लाओस के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से मुलाकात की; संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

विएंतियान (लाओस), 11 अक्टूबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्‍साय सिपानदोन ने भारत-लाओस के ‘‘सभ्यतागत और समकालीन संबंधों’’ को और मजबूत करने के लिए शुक्रवार को सार्थक वार्ता की तथा रक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा एवं अन्य प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की।

मोदी 10-11 अक्टूबर को लाओस जनवादी लोकतांत्रिक गणराज्य (लाओ पीडीआर) में 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बृहस्पतिवार को विएंतियान पहुंचे थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने लाओस के राष्ट्रपति थोंगलाउन सिसोउलिथ से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच घनिष्ठ साझेदारी को और प्रगाढ़ करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई।

मोदी लाओस के प्रधानमंत्री सिपानदोन के निमंत्रण पर बृहस्पतिवार को लाओस की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे थे। इस दौरान वह आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल हुए, ताकि इन समूहों के देशों के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ किया जा सके।

मोदी ने 21वें आसियान-भारत और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करने के लिए लाओस के प्रधानमंत्री को बधाई दी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत और लाओस के बीच साझेदारी को नयी गति दी गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्‍साय सिपानदोन ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से सार्थक चर्चा की, जिसमें विरासत संरक्षण और पुनरुद्धार, विकास साझेदारी, क्षमता निर्माण, आर्थिक संबंध, रक्षा, संस्कृति और दोनों देशों के लोगों के आपसी संबंधों सहित कई अहम क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की गई।’’

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में बताया गया कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भारत और लाओस के बीच सभ्यतागत और समकालीन संबंधों को और मजबूत करने पर सार्थक बातचीत की। उन्होंने विकास साझेदारी, क्षमता निर्माण, आपदा प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, विरासत पुनरुद्धार, आर्थिक संबंधों, रक्षा सहयोग और दोनों देशों के लोगों के आपसी संबंधों जैसे द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री सिपानदोन ने लाओस में ‘तूफान यागी’ के कारण आई बाढ़ के दौरान भारत की ओर से दी गई सहायता के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया।

बयान में बताया गया कि दोनों नेताओं ने इस बात पर भी गौर किया कि भारत की मदद से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल वट फू में जारी जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्य द्विपक्षीय संबंधों को एक विशेष आयाम प्रदान करता है।

मोदी और सिपानदोन ने क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग पर संतोष व्यक्त किया।

बयान में बताया गया कि प्रधानमंत्री सिपानदोन ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका को सराहा। भारत ने 2024 के लिए आसियान की अध्यक्षता के लिये लाओस का मजबूती से समर्थन किया है।

वार्ता के बाद, दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति में रक्षा, प्रसारण, सीमा शुल्क सहयोग और मेकांग-गंगा सहयोग के तहत तीन त्वरित प्रभाव परियोजनाओं (क्यूआईपी) के क्षेत्र में समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया।

क्यूआईपी लाओ रामायण की विरासत का संरक्षण, रामायण से संबंधित भित्तिचित्रों के साथ वाट फ्रा किउ बौद्ध स्थल के जीर्णोद्धार और चम्पासक प्रांत में रामायण पर आधारित छाया कठपुतली थिएटर को समर्थन देने से संबंधित है।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि तीनों क्यूआईपी में से प्रत्येक को लगभग 50,000 अमेरिकी डॉलर की भारत सरकार की अनुदान सहायता प्राप्त है।

इसमें बताया गया कि भारत लाओस में पोषण सुरक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर का अनुदान भी देगा।

विदेश मंत्रालय ने एक अन्य बयान जारी कर बताया कि मोदी ने आज विएंतियान में ‘लाओ पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी’ (एलपीआरपी) की केंद्रीय समिति के महासचिव और लाओस के राष्ट्रपति सिसोउलिथ से मुलाकात की।

बयान में कहा गया, ‘‘दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की और घनिष्ठ साझेदारी को और मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि सदियों पुराने सभ्यतागत बंधन के कारण भारत-लाओस समकालीन साझेदारी की जड़ें गहरी हैं।’’

उन्होंने विकास के लिए साझेदारी, विरासत पुनरुद्धार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच जारी सहयोग पर संतोष व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि 2024 भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का दशक होगा और उन्होंने लाओस के साथ भारत के संबंधों को और गति देने में इसकी अहमियत को रेखांकित किया।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों के बीच सभ्यतागत संबंधों का जिक्र करते हुए मोदी ने नए नालंदा विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत अवसरों के माध्यम से दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया।

मोदी ने भारत-आसियान संबंधों को मजबूत करने के लिए लाओस द्वारा दिए गए समर्थन के लिए राष्ट्रपति सिसोउलिथ को धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने परस्पर हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की।

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