खजुराहो (मप्र), 25 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को मध्यप्रदेश में ‘केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना’ की आधारशिला रखते हुए देश में जल संसाधनों के विकास में डॉ. बी.आर. आंबेडकर के योगदान को नजरअंदाज करने का कांग्रेस पर आरोप लगाया।
मोदी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि 21वीं सदी में केवल वे देश और क्षेत्र ही आगे बढ़ सकते हैं, जिनके पास पर्याप्त और अच्छी तरह से प्रबंधित जल संसाधन हैं।
प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी आंबेडकर के बारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर विवाद और इस मुद्दे पर विपक्षी कांग्रेस के देशव्यापी विरोध के बीच आई है।
मोदी ने कहा, ‘‘आंबेडकर की दूरदर्शिता और सोच ने देश के जल संसाधनों को मजबूत करने, उनके प्रबंधन और बांध निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।’’
उन्होंने कहा कि बाबासाहेब ने प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं के विकास और केंद्रीय जल आयोग के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी से भी पूछिए....देश को आजादी मिलने के बाद जलशक्ति जैसे दूरदर्शी विषय के बारे में किसने सोचा? मेरे पत्रकार मित्र भी इसका उत्तर नहीं दे पाएंगे, क्योंकि एक व्यक्ति को श्रेय देने के नशे में सच्चे सेवक को भूला दिया गया और सच्चाई को दबा, छिपाकर रखा गया....भारत के जल संसाधन, बांधों का निर्माण, इन सबके पीछे एक महापुरुष बाबासाहेब अंबेडकर की दूरदृष्टि थी।’’
मोदी ने दावा किया, ‘‘कांग्रेस ने लंबे समय तक शासन किया, लेकिन जल संरक्षण और बड़े बांधों से जुड़े प्रयासों के लिए बाबासाहेब को कभी श्रेय नहीं दिया।’’
मोदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने देश की जल संरक्षण की बढ़ती जरूरतों पर कभी ध्यान नहीं दिया और जल संरक्षणवादी के रूप में आंबेडकर के प्रयासों को कभी मान्यता नहीं दी।
उन्होंने कहा, ‘‘इक्कीसवीं सदी की सबसे बड़ी चुनौती जल सुरक्षा है। इक्कीसवीं सदी में केवल वही देश और क्षेत्र आगे बढ़ेंगे, जिनके पास उचित प्रबंधन के साथ पर्याप्त जल संसाधन होंगे।’’
मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी-नीत सरकार द्वारा की गई विकास परियोजनाओं के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा कि वाजपेयी वर्षों तक उनके जैसे कई कार्यकर्ताओं के लिए शिक्षक रहे।
उन्होंने सुझाव दिया कि विद्वानों और विश्लेषकों को 100-200 मापदंडों का चयन करना चाहिए और विभिन्न सरकारों, कांग्रेस, वामपंथी, परिवारवादी दलों और गठबंधनों के प्रदर्शन का आकलन करना चाहिए।
मोदी ने कहा, ‘‘.....और उनकी तुलना भाजपा द्वारा किए गए कार्यों से करें। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि जहां भी भाजपा को सेवा करने का अवसर मिला है, हमने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और जन कल्याण एवं विकास कार्यों में सफलता हासिल की है।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और सुशासन एक साथ नहीं चल सकते, क्योंकि पिछली कांग्रेस सरकारों ने परियोजनाओं की आधारशिला रखने के बाद 35-40 साल तक इसमें कुछ नहीं किया और देरी की। उन्होंने कांग्रेस पर इन योजनाओं को लागू करने में दृढ़ संकल्प की कमी का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘देश की जनता ने तीसरी बार केंद्र में भाजपा की सरकार चुनी। मध्यप्रदेश में आप सभी लगातार भाजपा को चुन रहे हैं और सुशासन के प्रति विश्वास इसका सबसे मजबूत कारण है।"
उन्होंने कहा कि सुशासन का पैमाना यह है कि सरकारी योजनाओं ने कितना लाभ पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारें केवल घोषणाएं करने में ही माहिर थीं।
मोदी ने कहा, ‘‘सुशासन न केवल वर्तमान चुनौतियों से निपटता है, बल्कि भविष्य की चुनौतियों पर भी काम करता है। दुर्भाग्य से, देश में वर्षों तक कांग्रेस की सरकारें रहीं। कांग्रेस सरकार (सत्ता) को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानती है, लेकिन उसका सुशासन से छत्तीस का नाता रहा है। कांग्रेस और सुशासन एक साथ नहीं रह सकते।’’
उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के लोगों को भी बहुत परेशानी हुई। उन्होंने मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले इस क्षेत्र में पानी की कमी का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सात दशक बाद भी नदियों के पानी को लेकर विभिन्न राज्यों के बीच विवाद हैं और कांग्रेस "पंचायत से संसद तक" सत्ता में होने के कारण उन्हें आसानी से सुलझा सकती थी, लेकिन कांग्रेस की नीयत खराब थी, इसलिए उसने कभी कोई ठोस प्रयास नहीं किया।
उन्होंने दावा किया कि वाजपेयी सरकार ने इन विवादों को सुलझाने के प्रयास शुरू किए, लेकिन 2004 में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस ने उन्हें रोक दिया।
मोदी ने पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी-जोड़ो परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश अब पहला राज्य है, जहां दो नदी-जोड़ो परियोजनाएं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि केन-बेतवा परियोजना बुंदेलखंड में समृद्धि लाएगी।
जल, जीवन, मिशन और जल शक्ति मंत्रालय के गठन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों को जल सुरक्षा और संरक्षण के लिए याद किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 12 करोड़ नये परिवारों तक नल का पानी पहुंचा है, जबकि इससे पहले यह आंकड़ा सिर्फ तीन करोड़ था।
एक अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश दुनिया के शीर्ष 10 पर्यटन स्थलों में से एक है।
उन्होंने कहा कि केंद्र पर्यटन क्षेत्र को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा मिलेगा।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने राज्य के खंडवा जिला स्थित ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर ऊर्जा संयंत्र का वर्चुअल उद्घाटन भी किया और दौधन सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखी।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने क्रमशः बेतवा और केन नदियों के पानी से भरे दो कलश मोदी को सौंपे, जिन्होंने इसे नदी जोड़ने के काम की शुरुआत के लिए परियोजना के एक मॉडल पर डाला।
अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना के तहत मध्यप्रदेश के 10 जिलों के करीब 44 लाख और उत्तर प्रदेश के 21 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध होगा। उन्होंने बताया कि इस परियोजना पर कुल 44,605 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना से दो हजार गांवों के करीब 7.18 लाख किसान परिवारों को लाभ मिलेगा। इससे 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी पैदा होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी पर उनकी स्मृति में एक स्मारक टिकट और सिक्का भी जारी किया।
तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने सिंचाई जरूरतों के साथ-साथ बाढ़ से निपटने के लिए नदियों को जोड़ने का प्रस्ताव रखा था।
प्रधानमंत्री ने 437 करोड़ रुपये की लागत से 1,153 अटल ग्राम सेवा सदनों के निर्माण के लिए भूमि पूजन भी किया।
दिमो
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