इंफाल, 7 अगस्त : मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है. विशेष सचिव (गृह) एच ज्ञान प्रकाश ने शनिवार को इस बाबत एक आधिकारिक आदेश जारी किया. आदेश के मुताबिक, कुछ असामाजिक तत्व नफरत भरे भाषणों को प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे लोगों की भावनाएं उद्वेलित हो रही थीं. इसमें कहा गया है कि शनिवार शाम को फुगाकचाओ इखांग में कुछ लोगों द्वारा एक वाहन में आग लगाए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया है. इस घटना के बाद इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैल गया है. बिष्णुपुर के जिला अधिकारी ने शनिवार शाम को घाटी जिले में अगले दो महीने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है.
‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) द्वारा शुक्रवार सुबह पहाड़ी जिलों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर अनिश्चितकालीन ‘आर्थिक नाकेबंदी’ किए जाने के बाद से राज्य में तनाव पैदा हो गया है. इस नाकेबंदी के कारण घाटी क्षेत्र में आपूर्ति ठप पड़ गई है. छात्र संगठन राज्य के घाटी क्षेत्रों का समान विकास सुनिश्चित करने के लिए पहाड़ी इलाकों को अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता देने के वास्ते मणिपुर (पहाड़ी क्षेत्र) स्वायत्त जिला परिषद (संशोधन) विधेयक 2021 को विधानसभा के मानसून सत्र में पेश करने की मांग कर रहा है. यह भी पढ़ें :महाराष्ट्र : ‘काला जादू’ करते हुए माता-पिता ने पांच साल की बेटी को पीट-पीटकर मार डाला
हालांकि, मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने मंगलवार को मणिपुर (पहाड़ी क्षेत्र) जिला परिषद छठा और सातवां संशोधन बिल पेश किया, जो प्रदर्शनकारियों के मुताबिक उनकी मांगों के अनुरूप नहीं है. संशोधन विधेयक पेश किए जाने के बाद एटीएसयूएम ने आदिवासी बहुल कांगपोकपी और सेनापति में मंगलवार से पूर्ण बंदी लागू कर रखी है. अनिश्चितकालीन नाकेबंदी के बाद घाटी स्थित संगठन मेइती लीपुन ने शुक्रवार दोपहर एटीएसयूएम के इम्फाल कार्यालय को बंद कर दिया. मेइती लीपुन का दावा है कि नाकेबंदी राज्य के घाटी क्षेत्रों को लक्षित करती है.