नयी दिल्ली, 14 अप्रैल बसपा की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को संविधान निर्माता डा भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कोरोना संकट के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं से अपने घर में ही रहकर अंबेडकर जयंती मनाने का आह्वान किया।
मायावती ने देश में दलित और वंचित समुदायों को दुर्दशा से मुक्ति नहीं मिलने का जिक्र करते हुये कहा कि कोरोना पीड़ितों में भी 90 फीसदी उपेक्षित वर्ग के लोग हैं।
बसपा प्रमुख ने दलित और उपेक्षित वर्ग के लोगों से सत्ता की चाबी अपने हाथों लेने के डा अंबेडकर के आह्वान की याद दिलाते हुये कहा,‘‘राजनीतिक सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथों में लेने की बाबा साहब की बात की तरफ अभी तक इन वर्गो का ध्यान नहीं जा रहा है। यह चिंता की भी बात है।’’
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उपेक्षित वर्गों द्वारा डा अंबेडकर की इस बात को याद नहीं रखने के कारण ही इन वर्गों की हमेशा यही ‘‘दुर्दशा’’ बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना के कारण लॉकडाउन के बाद भी इसी वजह से उपेक्षित वर्गों की दुःखद दुर्दशा देखने को मिली है।
मायावती ने कहा, ‘‘इस महामारी के चलते पूरे देश में खासकर दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित गरीब लोगों की काफी दुर्दशा देखने को मिली है। इससे यह बात फिर स्पष्ट हो जाती है कि इन वर्गों के प्रति केन्द्र और राज्य सरकारों की अभी तक हीन और जातिवादी मानसिकता बदली नहीं है।’’
मायावती ने कोरोना संकट के दौरान गरीबों को राशन नहीं मिलने का मुद्दा उठाते हुये कहा, ‘‘कोरोना पीड़ितों में लगभग 90 प्रतिशत लोग उपेक्षित वर्ग के हैं और इनकी शिकायत है कि इन लोगों के पास कोई राशन कार्ड आदि नहीं है, इस कारण उन्हें राशन भी नहीं मिल पा रहा है।’’
उन्होंने सरकार से इस समस्या का शीघ्र समाधान निकालने की मांग करते हुये कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो उपेक्षित वर्गों के ये लोग कोरोना से कम, भूख से ज्यादा मरेंगे।
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