मुंबई, 27 जनवरी बचाव पक्ष के वकील द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद बृहस्पतिवार को 2008 मालेगांव विस्फोट मामले की सुनवाई के दौरान विशेष अदालत में उपस्थित महाराष्ट्र एटीएस के दो अधिकारी कक्ष से बाहर निकल गए।
आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने शुरूआत में इस मामले की जांच की थी, जिसे बाद में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंप दिया गया था।
महाराष्ट्र सरकार के निर्देश पर एटीएस के दो अधिकारी बृहस्पतिवार को अदालत पहुंचे थे, इसपर एनआईए के वकील ने कहा कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
बचाव पक्ष के वकील जे. पी. मिश्रा ने कहा कि इन अधिकारियों को सुनवाई में शामिल होने का अधिकार नहीं है।
बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि कानून के अनुसार एनआईए जांच के दौरान अन्य एजेंसियों की मदद ले सकता है, लेकिन सुनवाई के दौरान नहीं।
न्यायाधीश पी. आर. सित्रे ने जब दोनों अधिकारियों से उनकी मौजूदगी पर सवाल किया तो उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वल्से पाटिल के निर्देश पर एटीएस प्रमुख विनीत अग्रवाल ने उन्हें भेजा है
उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें सिर्फ मौखिक निर्देश मिला है, कोई लिखित आदेश नहीं मिला है।
जब बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि अगर एटीएस के अधिकारी मौजूद रहे तो वे सुनवाई आगे नहीं बढ़ाएंगे, इसलिए दोनों अधिकारी कक्ष से बाहर चले गए।
कक्ष से बाहर जाने से पहले उन्होंने न्यायाधीश को बताया कि अगली सुनवाई में शामिल होने की अनुमति पाने के लिए वे अर्जी देंगे।
इस मामले में अभियोजन पक्ष के विभिन्न गवाहों के पलट जाने पर संज्ञान लेते हुए गृह मंत्री वल्से पाटिल ने पिछले सप्ताह कहा था कि एटीएस सुनवाई में शामिल होगी।
मालेगांव के मस्जिद में हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस मामले में भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी आरोपी हैं।
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