देश की खबरें | महाराष्ट्र : भंडारा में अस्पताल में आग लगने से दस नवजात शिशुओं की मौत
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

भंडारा, नौ जनवरी पूर्वी महाराष्ट्र के भंडारा जिला अस्पताल में शुक्रवार देर रात विशेष नवजात देखरेख इकाई में आग लगने से 10 शिशुओं की मौत हो गई जबकि सात बच्चों को सुरक्षित बचा लिया गया। कर्मचारियों ने वार्ड से 17 बच्चों में से सात बच्चों को बचा लिया।

आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट या एयर कंडीशनिंग इकाई में खराबी होने का संदेह है और राज्य सरकार ने अग्निशमन विशेषज्ञों द्वारा जांच का आदेश दिया है। वहीं भाजपा के एक नेता ने आरोप लगाया कि वार्ड में विद्युत आपूर्ति में फ्लक्चुएशन (उतार-चढ़ाव) की शिकायतें थीं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की निदेशक साधना तायदे की अध्यक्षता में छह सदस्यों की समिति जांच करेगी और तीन दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी।

राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी अस्पतालों का ‘फायर ऑडिट’ करने का आदेश दिया गया है।

ठाकरे ने घटना को ‘‘हृदय-विदारक और स्तब्ध करने वाला’’ बताया। उन्होंने कहा कि 2015 में इस अस्पताल में बच्चों के लिए नया खंड खोला गया था और अब इस बात की जांच की जाएगी कि नये भवन की अग्नि संबंधी ऑडिट की गयी थी या नहीं।

उन्होंने कहा कि जिन शिशुओं की मौत हुई है उनके परिवारों को पांच-पांच लाख रूपये की सहायता दी जाएगी।

एक डॉक्टर ने बताया कि जान गंवाने वाले 10 नवजात बच्चों की आयु एक महीने से तीन महीने के बीच थी। उन्होंने बताया कि इनमें से आठ लड़कियां और दो लड़के थे। एक बच्चा जिले के सुदूरवर्ती इलाके में लावारिस हालत में मिला था और पिछले हफ्ते उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दुर्घटना में इस बेनाम बच्चे की भी मौत हो गई।

स्वास्थ्य मंत्री टोपे ने संवाददाताओं से कहा कि तीन नवजात शिशुओं की मृत्यु झुलसने से, वहीं सात शिशुओं की दम घुटने से मौत हो गई।

डॉक्टरों के अनुसार भंडारा जिला अस्पताल में आग शुक्रवार देर रात एक बजकर 30 मिनट के आसपास आग लगी।

जिला सिविल सर्जन प्रमोद खंडाते ने कहा कि प्रभावित इकाई में 17 बच्चे थे, जिनमें से सात को बचा लिया गया।

उन्होंने बताया कि सबसे पहले एक नर्स ने अस्पताल की नवजात शिशु देखभाल इकाई से धुआं उठते देखा। उसने डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को सतर्क किया और वे पांच मिनट के भीतर वहां पहुंच गए। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों और कर्मचारियों ने दमकल कर्मियों के पहुंचने से पहले आग को बुझाने के प्रयास किये।

खंडाते ने कहा कि उन्होंने सात बच्चों को सुरक्षित बचा लिया लेकिन 10 बच्चों को बचाया नहीं जा सका।

खंडाते ने बताया कि बच्चों को जिस वार्ड में रखा जाता है, वहां लगातार ऑक्सीजन की आपूर्ति की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि चार मंजिला इमारत में आग लगने के कारण का अभी पता लगाया जाना बाकी है लेकिन यह शार्ट सर्किट हो सकता है।

रात में ड्यूटी पर तैनात दो नर्सों शुभांगी सतवाने और स्मिता अंबिलडुक ने कहा कि उन्होंने नवजात शिशुओं के वार्ड में विस्फोट जैसी आवाज सुनी।

उन्होंने कहा, ‘‘जब हम अंदर गए तो आंख और नाक में धुआं भर गया। हम कुछ भी नहीं देख सके, लेकिन शीशे टूटने की आवाज सुनी। हमने आवाज लगाई और सुरक्षा गार्ड तथा अग्निशमन कर्मियों के सहयोग से सात बच्चों को बचा लिया।’’

राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा, ‘‘सरकार ने यह पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच का आदेश दे दिया है कि क्या आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट या एयर कंडीशनर की खराबी थी।’’

राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा महाविद्यालय और विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (वीएनआईटी) के विशेषज्ञ जांच करेंगे।

भाजपा नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने दावा किया कि शिशुओं के रिश्तेदारों ने पिछले हफ्ते वार्ड में बिजली आपूर्ति में ‘फ्लक्चुएशन’ की शिकायत की थी।

बावनकुले ने पीटीआई- से कहा, ‘‘परिजनों ने अस्पताल के कर्मचारियों से इलेक्ट्रिक स्विच आदि की जांच करने के लिए कहा था, लेकिन जाहिर तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।’’

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