मुंबई, 24 जुलाई राष्ट्रीय मोचन बल (एनडीआरएफ) और अन्य एजेंसियां तलाश एवं बचाव अभियान खत्म करने के बाद महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के इरशलवाड़ी में भूस्खलन स्थल से रवाना हो गई हैं और स्थानीय पुलिस कर्मी अब घटनास्थल की निगरानी करेंगे। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
राज्य के मंत्री उदय सामंत ने रविवार को कहा कि बुधवार को भूस्खलन के बाद एनडीआरएफ कर्मियों सहित 1,100 लोगों के चार दिवसीय खोज और बचाव अभियान के दौरान 27 शव बरामद किए गए, जबकि 57 लोगों का पता नहीं चल पाया है।
उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ ने रविवार को अपना खोज और बचाव अभियान बंद कर दिया।
रायगढ़ के संरक्षक मंत्री सामंत ने संवाददाताओं से कहा कि यहां तक कि लापता लोगों के परिजन ने भी उनके मलबे में दबे होने की आशंका जताई और वे बचाव अभियान बंद करने से सहमत हैं।
एनडीआरएफ के एक अधिकारी के मुताबिक, खोज एवं बचाव अभियान बंद होने के बाद उनकी टीम और अन्य एजेंसियां वहां से चली गईं और वहां स्थापित एक आधार शिविर भी हटा दिया गया।
रायगढ़ जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने भूस्खलन स्थल की सुरक्षा के लिए एक अधिकारी और तीन कांस्टेबल तैनात किए हैं। टीम दिन के समय घटनास्थल की सुरक्षा करेगी।’’
सामंत ने रविवार को कहा कि कोई भी भूस्खलन स्थल पर भीड़ नहीं लगाए क्योंकि लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने के लिए धारा 144 (दंड प्रक्रिया संहिता) लागू की गई है।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और अन्य संबंधित अधिकारियों के परामर्श से आखिरकार अभियान बंद करने का निर्णय लिया गया।
मंत्री ने कहा, ‘‘गांव में 228 लोग रहते थे जिनमें से 57 का पता नहीं लग पाया है जबकि 27 लोगों के शव बरामद किए गए हैं। इलाके में रहने वाले 43 परिवारों में से दो परिवार पूरी तरह खत्म हो गए हैं जबकि 41 परिवारों के 144 सदस्यों को एक मंदिर में शरण दी गई है।’’
सुदूरवर्ती आदिवासी गांव में 48 मकानों में से 17 भूस्ख्लन में पूर्णत: या आंशिक रूप से नष्ट हो गए हैं। यह गांव मुंबई से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है और यहां पहुंचने में सड़क मार्ग के बाद भी कम से कम एक घंटा लगता है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)