मुंबई, 25 जून महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों के एक समूह द्वारा बगावत कर पार्टी नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को संकट में डालना चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि, गुजरात के सूरत जाने से पहले इन विधायकों ने अपने सुरक्षाकर्मियों को चकमा दिया था। ये विधायक अभी गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं।
शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में असंतुष्ट विधायकों से जुड़े मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम से क्या कुछ निकलकर सामने आता है, यह देखना अभी बाकी है। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं की आंखों में धूल झोंककर पड़ोसी राज्य में भागने में सफल रहे, जिससे अब खुफिया विफलता की चर्चा को हवा मिली है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि विधायकों ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने सुरक्षा अधिकारियों और पुलिस कर्मियों को चकमा दिया, ताकि सरकारी तंत्र उनकी योजनाओं को न भांप सके।
शिंदे के पार्टी के खिलाफ विद्रोह करने और कुछ विधायकों के शुरू में गुजरात और फिर बाद में असम (दोनों भाजपा शासित राज्यों) पहुंचने के बाद एमवीए बड़े राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है।
20 जून को विधान परिषद के चुनावों के कुछ घंटों बाद यह संकट पैदा हुआ, जिसमें विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने पांचवें उम्मीदवार को निर्वाचित कराने के लिए बेहतरीन प्रबंधन का प्रदर्शन किया।
नतीजे आने के बाद शिंदे संपर्क से दूर हो गए। वह और बागी विधायकों का एक समूह पहले गुजरात में रहा। बुधवार से शिंदे शिवसेना के कम से कम 38 बागी विधायकों और 10 निर्दलीय सदस्यों के साथ गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं। उनका विद्रोह 21 जून की सुबह सार्वजनिक हो गया।
ये विधायक कैसे मुंबई से लगभग 280 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सूरत जाने में सफल रहे, इस पर एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘राज्य पुलिस विभाग ने विधायकों की सुरक्षा में जिन सुरक्षाकर्मियों को लगाया था, उन्हें विधायकों ने बताया कि वे कुछ निजी काम से जा रहे हैं। उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को उनके लौटने तक इंतजार करने का निर्देश दिया। हालांकि, इसके बाद वे बिना बताए सूरत चले गए।’’
अधिकारी के मुताबिक, मुंबई के एक विधायक अपने कार्यालय में बैठे थे और नारियल पानी पी रहे थे, उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वह कुछ ही मिनटों में लौट आएंगे और वहां से चले गए।
अधिकारी ने बताया, ‘‘पार्टी के एक अन्य विधायक ने कहा कि उन्हें किसी काम से घर जाना है। युवा सेना का एक पदाधिकारी उनके साथ ही उनकी कार में यात्रा कर रहा था। हालांकि, कुछ दूर चलने के बाद विधायक ने युवा सेना पदाधिकारी को उतरने के लिए मजबूर कर दिया और खुद आगे बढ़ गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक अन्य विधायक ने अपने सुरक्षाकर्मियों को यह कहकर एक होटल के बाहर रुकने का निर्देश दिया कि उन्हें अंदर कुछ काम है। बाद में वे अपने सुरक्षाकर्मियों को वहीं छोड़कर दूसरे गेट से निकल गए।’’
अधिकारी के अनुसार, विधायक के नहीं आने पर सुरक्षा अधिकारियों ने अपने वरिष्ठों को इस बारे में सूचित किया। उन्होंने बताया कि कुछ अन्य विधायकों के मामले में भी ऐसा हुआ है।
उन्होंने बताया कि चार बागी विधायकों को वर्गीकृत सरक्षा प्राप्त थी, जिनमें शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे, गृह राज्य मंत्री शंभूराज देसाई, मंत्री अब्दुल सत्तार और संदीपन भुमरे शामिल हैं।
अधिकारी के मुताबिक, इन चार विधायकों की सुरक्षा एसपीओ (विशेष पुलिस अधिकारी) और सुरक्षा अधिकारी संभालते थे, लेकिन उनके सुरक्षाकर्मियों को उनकी योजनाओं के बारे में भनक तक नहीं थी, क्योंकि उनके व्यक्तिगत यात्रा कार्यक्रम का खुलासा नहीं किया गया था।
अधिकारी ने कहा, ‘‘जब तक एसपीओ ने अपने वरिष्ठों को विधायकों की गतिविधियों के बारे में सूचित किया, तब तक वे राज्य की सीमा पार कर चुके थे। सारे नाटक का खुलासा कुछ घंटों के अंतराल में हो गया। उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिस अधिकारियों को उनके भागने की योजना के बारे में पता नहीं था।’’
इस बीच, गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि कोई खुफिया विफलता नहीं हुई, क्योंकि राज्य के खुफिया विभाग ने पिछले कुछ महीनों से शिवसेना के कुछ विधायकों के विपक्षी दल के नेताओं के संपर्क में होने की जानकारी दी थी।
उन्होंने कहा कि कागज पर कुछ भी नहीं था और सब कुछ संबंधित लोगों को मौखिक रूप से बता दिया गया था, लेकिन सूचना पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
दो दिन पहले, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने कथित तौर पर राज्य के गृह मंत्री एवं राकांपा नेता दिलीप वालसे-पाटिल से शिवसेना विधायकों के महाराष्ट्र छोड़कर भागने को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।
उन्होंने सवाल किया था कि राज्य के गृह मंत्रालय और खुफिया विभाग ने भाजपा शासित गुजरात में बागी विधायकों के डेरा डालने के बारे में एमवीए नेतृत्व को सतर्क क्यों नहीं किया।
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