मुंबई, 18 अक्टूबर : मुंबई से लेकर सिंधुदुर्ग के सुदूर दक्षिणी जिले तक फैला महाराष्ट्र का तटीय क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पार्टी अविभाजित शिवसेना के हाथों अपनी राजनीतिक जमीन खो बैठी.
एक समय में तटीय कोंकण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुंबई से भेजे जाने वाले ‘मनीऑर्डर’ पर निर्भर मानी जाती थी क्योंकि 1960 में महाराष्ट्र को राज्य का दर्जा मिलने के बाद इस क्षेत्र के अधिकांश निवासी काम और व्यवसाय के लिए मुंबई चले गए थे. हालांकि, अब स्थिति वैसी नहीं रही. राज्य की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 75 सीटें कोंकण क्षेत्र में हैं, जिनमें मुंबई की 36 सीटें भी शामिल हैं. यह भी पढ़ें : बहराइच हिंसा मामले में पांच आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया
ऐसा माना जा रहा है कि 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में किस गठबंधन - सत्तारूढ़ महायुति या विपक्षी महाविकास आघाड़ी (एमवीए) - का शासन रहेगा, यह तय करने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. पूर्व मुख्यमंत्री और रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से भाजपा के लोकसभा सदस्य नारायण राणे ने ‘पीटीआई-’ को बताया कि कोंकण अब आत्मनिर्भर हो गया है और मछली, आम और काजू के निर्यात के बलबूते समृद्ध हो रहा है.