ठाणे, 19 दिसंबर छह साल पहले दस साल की बच्ची एक जघन्य हत्याकांड की गवाह बनी थी जिसमें उसकी दादी ने उसकी मां पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी थी। अब ठाणे सत्र न्यायालय ने 10 वर्षीय पोती की गवाही के आधार पर उसकी 76 वर्षीय दादी को दोषी ठहराते हुए आजावीन कारावास की सजा सुनाई है।
छह वर्ष पहले बच्ची ने अपनी मां को आग के हवाले किए जाने की घटना को देखा था और इस मामले में वह एकमात्र चश्मदीद गवाह थी।
सत्र न्यायाधीश डीएस देशमुख ने बुधवार को कहा कि अभियोजन पक्ष ने जमनाबेन मंगलदास मांगे के खिलाफ लगे आरोपों को साबित कर दिया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी है।
अदालत ने हालांकि मृतका के पति अशोक मांगे (40) को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
न्यायाधीश ने बुजुर्ग महिला पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जिसे मुआवजे के तौर पर बच्ची को दिया जाएगा।
अतिरिक्त लोक अभियोजक संध्या एच म्हात्रे ने अदालत को बताया कि अशोक मांगे से विवाह करने वाली दक्षा मांगे (30) को उसकी सास जमनाबेन मांगे प्रताड़ित कर रही थी।
अभियोजक ने बताया कि घटना से ढाई महीने पहले आरोपी ने उसे घर से निकाल दिया था। उन्होंने बताया कि जमनाबेन मांगे अपनी बहू के साथ मारपीट करती थी और उसे पहले भी घर से निकाल चुकी थी।
दक्षा 13 अप्रैल 2018 की शाम को अपनी बेटी का स्कूल में दाखिला कराने को लेकर कुछ जरूरी दस्तावेज लेने के लिए अपने ससुराल गयी थी।
जमनाबेन ने अपनी बहू को रसोई में खींच लिया और उस पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि उस समय 10 साल की बच्ची ने शोर मचाया और अपनी मां को बचाने की कोशिश की।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, बच्ची की चीखें सुनकर पड़ोसी दौड़कर आए और दक्षा को अस्पताल ले गए लेकिन अगले दिन ही उसकी मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि वह 80 प्रतिशत तक झुलस गई थी।
अभियोक्ता म्हात्रे ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने सात गवाहों से पूछताछ की लेकिन बच्ची ही मामले में मुख्य गवाह थी, जिसने अदालत में पूरी घटना को बहुत स्पष्ट रूप से बताया।
उन्होंने बताया कि बच्ची की गवाही और दक्षा का मृत्यु पूर्व बयान महत्वपूर्ण साक्ष्य साबित हुए।
अभियोक्ता ने अपनी दलीलों में मुकदमे के दौरान महिला कांस्टेबल अमोध सादेकर द्वारा दी गई मदद का भी उल्लेख किया।
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