महाकुम्भनगर, 13 जनवरी मोक्ष की तलाश में संगम में पवित्र डुबकी लगाने वाले लोगों में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े मानव समागम में आध्यात्मिक उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं।
सोमवार को 'पौष पूर्णिमा' पर 'शाही स्नान' के साथ शुरू हुए महाकुम्भ ने गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती नदियों के मिलन बिंदु को आस्था, संस्कृति और मानवता के जीवंत संगम में बदल दिया है, जिसमें दुनिया के अलग अलग हिस्सों से आए लोग दुर्लभ खगोलीय संयोग का अनुभव कर रहे हैं, जो हर 144 साल में एक बार होता है।
कभी अमेरिकी सेना में बतौर सैनिक अपनी सेवाएं दे चुके माइकल अब संन्यासी बन गए हैं तथा जिन्हें 'बाबा मोक्षपुरी' के नाम से जाना जाता है। महा कुम्भ में शामिल होने आए माइकल ने अपनी परिवर्तन की यात्रा साझा की।
उन्होंने बताया, ‘‘मैं भी कभी साधारण व्यक्ति था। परिवार के साथ समय बिताना और घूमना मुझे पसंद था। लेकिन एक समय ऐसा आया जब मैंने महसूस किया कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। मोक्ष की तलाश मुझे यहां ले आई।’’
जूना अखाड़े से संबद्ध माइकल ने अपना जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रयागराज में यह मेरा पहला महाकुम्भ है और आध्यात्मिक ऊर्जा असाधारण है।’’
इस आध्यात्मिक उत्सव में बड़ी संख्या में विदेशी हिस्सा ले रहे हैं - उत्सव को फिल्माने वाले दक्षिण कोरियाई यूट्यूबर्स से लेकर परंपराओं के बारे में जानने के लिए यूरोपीय तीर्थयात्रियों के साथ उत्सुक जापानी पर्यटकों तक यहां देखे जा सकते हैं।
इस आयोजन की भव्यता पर हैरत जताते हुए, स्पेन की क्रिस्टीना ने कहा, ‘‘यह एक अद्भुत क्षण है, जो मैंने पहले कभी नहीं देखा।’’
एक अन्य अंतरराष्ट्रीय पर्यटक जूली ने संगम पर गहरा जुड़ाव महसूस किया। उन्होंने पीटीआई वीडियोज को बताया, ‘‘मैं इन पवित्र जल में डुबकी लगाने के अवसर के लिए आभारी हूं। मैं पूर्ण और धन्य महसूस करती हूं।’’
इटली की वेलेरिया ने माहौल को ‘‘रोमांच और ऊर्जा से भरपूर’’ बताया। उन्होंने और उनके पति मिखाइल ने ठंडे पानी के कारण 'शाही स्नान' नहीं किया।
मिखाइल ने मजाक में कहा, ‘‘मेरी पत्नी ने मुझे धमकी दी कि अगर मैं पानी में गया तो वह मुझे छोड़ देगी क्योंकि यह बहुत ठंडा है।’’ इस जोड़े ने पारा चढ़ने पर प्रयागराज की फिर से यात्रा करने की योजना बनाई है।
मोक्ष की तलाश में महाकुम्भ में पहली बार आए ब्राजील के योग साधक शिकू ने कहा, ‘‘भारत दुनिया का आध्यात्मिक हृदय है। इस महाकुम्भ को और भी खास बनाने वाली बात यह है कि यह 144 साल बाद हो रहा है। मैं यहां आकर खुद को बहुत भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। जय श्री राम।’’
फ्रांस की पत्रकार मेलानी के लिए महाकुंभ अप्रत्याशित रोमांच से भरा है। पीटीआई वीडियोज से उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने भारत की यात्रा की योजना बनाई थी, तब मुझे महाकुम्भ के बारे में नहीं पता था। लेकिन जब मुझे इसके बारे में पता चला, तो मुझे लगा कि मुझे यहां आना ही होगा। साधुओं से मिलना और इस जीवंत मेले को देखना मेरे लिए जीवन में एक बार आने वाला अनुभव है।’’
कई विदेशी पर्यटकों ने भी इस आयोजन की वैश्विक प्रसिद्धि पर जोर दिया।
एक उत्साही प्रतिभागी ने कहा, ‘‘दुनिया भर के यात्री महाकुम्भ के बारे में जानते हैं, खासकर इस महाकुम्भ के बारे में, क्योंकि यह 144 वर्षों में सबसे बड़ा आयोजन है।’’
उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि 26 फरवरी तक चलने वाले महाकुंभ में 40-45 करोड़ लोग आएंगे, इसलिए इस आयोजन के सुचारू संचालन के लिए अभूतपूर्व पैमाने पर अपने संसाधन जुटाए जा रहे हैं, जो यकीनन दुनिया में आस्था का सबसे बड़ा जमावड़ा है।
जफर
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