नयी दिल्ली, 19 दिसंबर : सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के मूल्यांकन में उम्मीद से ज्यादा वक्त लगने से इसका आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) चालू वित्त वर्ष में आने की संभावना कम ही दिख रही है. आईपीओ लाने की तैयारियों से जुड़े एक मर्चेंट बैंकर के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस विशाल सार्वजनिक कंपनी के मूल्यांकन का काम अभी पूरा नहीं हुआ है और इसमें अभी कुछ और वक्त लग सकता है. मूल्यांकन का काम पूरा हो जाने के बाद भी निर्गम से संबंधित कई नियामकीय प्रक्रियाओं को पूरा करने में वक्त लगेगा. अधिकारी ने कहा कि आईपीओ लाने के पहले बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व-अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा बीमा क्षेत्र की नियामक संस्था भारतीय बीमा नियमन एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) से भी इसकी अनुमति लेनी होगी. आईआरडीएआई के प्रमुख का पद करीब सात महीने से खाली पड़ा है.
इस अधिकारी के मुताबिक, इस तरह की स्थिति में एलआईसी का आईपीओ वित्त वर्ष 2021-22 में ही आने की संभावना बहुत ही कम दिख रही है. इस वित्त वर्ष में अब सिर्फ तीन महीने ही रह गए हैं. एलआईसी का मूल्यांकन अपने आप में बेहद जटिल प्रक्रिया है. इसकी वजह यह है कि एलआईसी का आकार बेहद बड़ा और इसकी उत्पाद संरचना भी मिली-जुली है. इसके पास रियल एस्टेट परिसंपत्तियां हैं और कई अनुषंगी इकाइयां भी हैं. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मूल्यांकन का काम पूरा नहीं होने तक शेयर बिक्री का आकार भी नहीं तय किया जा सकता है. यह भी पढ़ें : पीएलआई योजनाओं, वैश्विक मांग में सुधार से नए साल में निर्यात बढ़ने की उम्मीद
सरकार चालू वित्त वर्ष में ही एलआईसी का आईपीओ लाने की कोशिश में लगी हुई है. दरअसल इस वित्त वर्ष के विनिवेश लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये को हासिल करने में यह आईपीओ बहुत अहम भूमिका निभा सकता है. इसके अलावा सरकार को बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री से भी बहुत उम्मीद है. हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार विनिवेश की दिशा में अच्छी तरह बढ़ रही है. उन्होंने कहा था कि नौकरशाही एवं विभिन्न विभागों की कमियों को दुरूस्त करने में समय लगता है, लेकिन सरकार इसे तेज करने की कोशिश कर रही है.