नयी दिल्ली, सात जुलाई दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने शुक्रवार को उप राज्यपाल वी के सक्सेना को पत्र लिखकर कहा है कि दिल्ली विधानसभा अनुसंधान केंद्र में अध्येताओं और सलाहकारों की नियुक्ति को रोकने के लिए सेवा और वित्त विभागों द्वारा जारी संदेश हड़बड़ी में जारी किया गया था, इसलिए उनकी सेवाओं को बंद करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
गोयल ने कहा कि अध्येताओं के खिलाफ किसी भी कार्रवाई को विधानसभा के विशेषाधिकार का हनन और अवमानना माना जा सकता है।
विधानसभा सचिवालय ने बृहस्पतिवार को एक आदेश में दिल्ली विधानसभा अनुसंधान केंद्र (डीएआरसी) के 116 अध्येताओं की नियुक्ति को खारिज कर दिया था और गोयल के हस्तक्षेप पर कुछ घंटे बाद ही इस पर रोक लगा दी थी।
इससे एक दिन पहले ही दिल्ली सरकार के सेवा विभाग ने उप राज्यपाल के निर्देश पर सभी विभागों, बोर्डों और आयोगों को उप राज्यपाल की मंजूरी के बिना अध्येताओं और सलाहकारों की नियुक्ति को रोकने के लिए पत्र लिखा था। इसमें यह भी कहा गया कि दिल्ली विधानसभा बिना मंजूरी के ऐसी मानव बल को नियुक्त करने का अधिकार नहीं रखती।
बाद में वित्त विभाग ने दिल्ली सरकार के सभी विभागों और एजेंसियों को ऐसे लोगों का वेतन जारी नहीं करने को कहा था। दिल्ली के उप राज्यपाल सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा नियुक्त करीब 400 विशेषज्ञों की सेवाओं को पिछले दिनों समाप्त कर दिया था।
इस कदम को आप सरकार ने ‘असंवैधानिक’ करार दिया था।
गोयल ने उप राज्यपाल को पत्र में लिखा, ‘‘सेवा और वित्त विभाग के ये पत्र हड़बड़ी में जारी किये गये लगते हैं जिनमें विस्तार से मामले का अध्ययन नहीं किया गया अथवा कानूनी राय या प्रभावित हितधारकों की राय नहीं मांगी गयी।’’
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