नयी दिल्ली, 23 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि चिकित्सा संसाधनों की कमी के चलते कोविड-19 मरीज खुद उपकरण खरीदने पर मजबूर हुए और उन्होंने तरल मेडिकल ऑक्सीजन के विकल्प के तौर पर ऑक्सीजन सांद्रक का रुख किया। यहां तक कि आपूर्ति की किल्लत के चलते विदेशों से ऑक्सीजन सांद्रक खरीदे।
अदालत ने ऑक्सीजन सांद्रक पर केंद्र सरकार द्वारा एकीकृत माल एवं सेवा कर (आईजीएसटी) लागू किए जाने के निर्णय को ''असंवैधानिक'' करार देते हुए यह टिप्पणी की, जिनका लोगों ने व्यक्तिगत उपयोग के लिए आयात किया था अथवा किसी ने उन्हें तोहफे के तौर पर दिया था।
अदालत ने यह निर्णय कोविड-19 से पीड़ित रहे 85 वर्षीय गुरचरण सिंह की याचिका पर सुनाया, जिन्होंने व्यक्तिगत उपयोग के लिए तोहफे के तौर पर आयात किए गए ऑक्सीजन सांद्रक पर आईजीएसटी वसूले जाने को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि उनके भतीजे ने बतौर तोहफा ऑक्सीजन सांद्रक अमेरिका से भेजा था ताकि उनकी सेहत में सुधार हो सके।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने उस तथ्य का भी न्यायिक संज्ञान लिया कि तरल मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत ना केवल दिल्ली में थी बल्कि देश के अधिकतर भागों में यही हाल था, जिसके चलते लोग ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन सांद्रक जैसे उपकरणों के लिए खुद ही हाथ-पैर मार रहे थे।
पीठ ने 21 मई के अपने आदेश में कहा, '' चिकित्सा संसाधानों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने के चलते कोरोना वायरस से ग्रसित मरीजों और उनके रिश्तेदारों एवं मित्रों को उपकरण का इंतजाम स्वयं ही करने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह तथ्य है कि अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में बिस्तर उपलब्ध नहीं थे जोकि गंभीर रूप से बीमार मरीज के लिए आवश्यक था, ऐसे में लोगों को अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ा। ऑक्सीजन सांद्रक तरल मेडिकल ऑक्सीजन का उपयुक्त विकल्प नजर आया। देश में ऑक्सीजन सांद्रक की मांग के मुकाबले पर्याप्त आपूर्ति उपलब्ध नहीं होने के चलते लोग विदेशों से इस उपकरण का इंतजाम करने लगे।''
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