भुवनेश्वर, दो फरवरी मुख्य कोच यानेक शॉपमैन ने कहा कि भारतीय महिला हॉकी टीम की पेनल्टी को गोल में बदलने की खराब दर की असली वजह टीम में ड्रैग फ्लिक खिलाड़ियों की कमी है।
उन्होंने कहा कि देश में प्रतिभा विकास कार्यक्रमों में इस मुद्दे पर जोर दिये जाने की जरूरत है।
पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने की नाकामी भारतीय महिला टीम के लिए पिछले कुछ समय से परेशानी का सबब बना हुआ है। इस कमजोरी के कारण टीम को पिछले महीने के ओलंपिक क्वालीफायर में संघर्ष करना पड़ा और वह पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने से चूक गयी।
शॉपमैन ने चीन के खिलाफ भारत के एफआईएच प्रो लीग मैच की पूर्व संध्या पर कहा, ‘‘हमें अपने पेनल्टी कॉर्नर में अधिक विकल्प की आवश्यकता है। यह भारत में महिला हॉकी में चिंता का विषय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ आप शीर्ष 10 में किसी अन्य देश को देखें, तो उनके पास पांच से छह ड्रैग फ्लिकर हैं। जबकि हमारे पास ऐसा नहीं हैं। इसलिए प्रतिभा विकास में काम करने की जरूरत है।’’
शॉपमैन ने कहा कि ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में टीम की विफलता से वह आहत है लेकिन प्रो लीग में मिलने वाले मौका का वह फायदा उठाना चाहती है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम अब ओलंपिक क्वालीफिकेशन हासिल नहीं कर सकते लेकिन हमारे पास आगे बढ़ने के अलावा कोई चारा नहीं है। हमें आगे बढ़ने के लिए अपनी मजबूती के साथ खेलना होगा, हमें यह दिखाना होगा कि हम अच्छा खेल सकते हैं।’’
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