नयी दिल्ली, 16 अप्रैल स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये अपनायी गयी रणनीति को कारगर बताते हुये बृहस्पतिवार को कहा कि देश में कोविड-19 का परीक्षण जरूरत के मुतबिक पर्याप्त संख्या में हो रहा है। इस बीच चीन से भारत को त्वरित एंटीबॉडी परीक्षण किट की आपूर्ति भी शुरु हो गयी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कोरोना वायरस संकट के खिलाफ अभियान की जानकारी देते हुये बताया कि देश के 325 जिले संक्रमण मुक्त हैं। इसके अलावा 17 राज्यों में संक्रमण से प्रभावित 27 जिलों में पिछले 14 दिन से एक भी संक्रमित मरीज नहीं मिला है, साथ ही पुडुचेरी के माहे जिले में पिछले 28 दिनों में संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
उन्होंने कहा ‘‘ इससे स्पष्ट है कि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये लागू किये गये लॉकडाउन (बंद) के अब परिणाम मिलने लगे हैं। ’’
भारत में अन्य देशों की तुलना में संक्रमण के कम मामलों के पीछे कोरोना वायरस की जांच कम होने के आरोप गलत बताते हुए सरकार की ओर कहा गया कि भारत, परीक्षण के मामले में तार्किक रणनीति अपनाकर आगे बढ़ रहा है।
संवाददाता सम्मेलन में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेड़कर ने आंकड़ों के आधार पर कहा कि अमेरिका, इटली, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों की तुलना में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की पहचान के लिये भारत में न सिर्फ ज्यादा परीक्षण हो रहे हैं, बल्कि ये परीक्षण तार्किक और विवेकपूर्ण तरीके से किये जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भारत में प्रति दस लाख लोगों में से मात्र 199 का परीक्षण किये जाने को बहुत कम बताते हुये सरकार से इसे बढ़ाने की मांग की है। इसके जवाब में डा. गंगाखेड़कर ने कहा कि कोरोना वायरस परीक्षण की नीति को जनसंख्या के आधार पर देखना समझदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे दूसरे नजरिये से समझना होगा।
डा. गंगाखेड़कर ने कोविड-19 के परीक्षण को लेकर एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि जापान में औसतन 11.7 लोगों के परीक्षण पर एक मरीज में संक्रमण की पुष्टि हो रही है। वहीं, संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित देश इटली में 6.7, अमेरिका में 5.3 और ब्रिटेन में 3.4 लोगों के परीक्षण पर एक मरीज में संक्रमण की पुष्टि हो रही है। जबकि, भारत में औसतन 24 लोगों के परीक्षण पर एक संक्रमित मरीज मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि अन्य देशों की तुलना में अधिक परीक्षण करने के बावजूद भारत में संक्रमण की दर तुलनात्मक रूप से कम है। उन्होंने कहा कि भारत, शुरु से ही इस दिशा में तार्किक एवं विवेकपूर्ण रणनीति अपनाकर आगे बढ़ा है। शायद यही वजह है कि भारत में विशाल एवं सघन आबादी होने के बावजूद कोविड-19 के संक्रमण की दर और मरीजों एवं मृतकों की संख्या, कोरोना वायरस प्रभावित अन्य देशों की तुलना में कम है।
डा. गंगाखेड़कर ने बताया कि भारत को चीन से पांच लाख रेपिड टेस्टिंग किट मिल गयी हैं। उन्होंने बताया ‘‘दो किस्म की इन किट का इस्तेमाल सभी मरीजों में संक्रमण की पुष्टि के लिये नहीं किया जायेगा। यह किट कम से कम 14 दिन पुराने संक्रमित मरीज में एंटीबॉडी की पहचान करती है, इसलिये इसका इस्तेमाल, चिन्हित किये गये हॉटस्पॉट क्षेत्रों में संक्रमण की निगरानी करने के लिये किया जायेगा, जिससे यह पता चल सके कि संक्रमण की अधिकता वाले इलाकों में वायरस के संक्रमित मरीज बढ़ रहे हैं या नहीं। ’’
उन्होंने स्पष्ट किया कि ये ‘सेरोलॉजिक किट’ हैं जो शरीर में वायरस की प्रतिरोधी ‘एंटीबॉडी’ की मौजूदगी का पता लगाते है, और एंटीबॉडी का शरीर में संक्रमण के कुछ दिन बाद बनना शुरु होता है। इसलिये इस किट का इस्तेमाल संक्रमण का तत्काल पता लगाने के लिये नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि इन किट का इस्तेमाल हॉटस्पॉट इलाकों के उन लोगों पर किया जा सकेगा जो संक्रमण के पुख्ता लक्षणों के उभरने के बाद अस्पताल में परीक्षण के लिये आते हैं।
डा. गंगाखेड़कर ने यह भी कहा कि रेपिड किट का किफायती इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिये इस किट से संक्रमण के लक्षणों वाले संभावित मरीजों के समूह का भी परीक्षण (पूल टेस्ट) किया जा सकता है।
इस दौरान अग्रवाल ने लॉकडाउन के सकारात्मक परिणामों का जिक्र करते हुये कहा कि देश में संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने की दर बढ़ रही है, यह एक अच्छा संकेत है।
उन्होंने कहा कि मरीजों के स्वस्थ होने की दर पिछले कुछ दिनों में 11.4 प्रतिशत से बढ़कर 12.02 प्रतिशत हो गयी है। इसके परिणाम स्वरूप अब तक 1498 मरीजों को इलाज के बाद स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। इनमें बुधवार से अब तक स्वस्थ होने वाले 184 मरीज भी शामिल हैं।
अग्रवाल ने जिला स्तर पर भी चलाये जा रहे अभियान को पुख्ता रणनीति का हिस्सा बताते हुये कहा कि 27 जिलों में पिछले 14 दिन से एक भी संक्रमित मरीज नहीं मिलना इन इलाकों में कोरोना वायरस के संक्रमण की श्रंखला के टूटने का स्पष्ट प्रमाण है।
अग्रवाल ने बताया कि संक्रमण प्रभावित जिन जिलों में दो सप्ताह से एक भी मरीज नहीं मिला है, उनमें बिहार का पटना, पश्चिम बंगाल में नादिया, राजस्थान में प्रतापगढ़, गुजरात में पोरबंदर, गोवा में दक्षिणी गोवा, उत्तर प्रदेश में पीलीभीत, जम्मू कश्मीर में राजौरी, उत्तराखंड में पौढ़ी गढ़वाल, छत्तीसगढ़ में राजनंदगांव, कर्नाटक में बेल्लारी, केरल में वायनाड, हरियाणा में पानीपत और मध्य प्रदेश में शिवपुरी जिला शामिल है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार को लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल से बढ़ाकर तीन मई तक करने की घोषणा के बाद बुधवार को गृह मंत्रालय ने संक्रमण की अधिकता वाले 170 हॉटस्पॉट जिले और 207 संभावित हॉटस्पॉट जिलों को चिन्हित कर इनमें सघन संक्रमण रोधी अभियान चलाने के राज्य सरकारों को निर्देश दिये हैं।
अग्रवाल ने कहा कि 20 अप्रैल तक संक्रमण मुक्त 325 जिलों सहित देश के अन्य सभी जिलों में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के उपायों का सख्ती से पालन और आंकलन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को देश में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 12,380 और मरने वालों की संख्या 414 हो गयी है। इनमें पिछले 24 घंटों के दौरान सामने आये संक्रमण के 941 और मरीजों की मौत के 37 मामले भी शामिल है।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के परीक्षण हेतु संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता का जिक्र करते हुये डा. गंगाखेड़कर ने कहा, ‘‘हाल ही में आईसीएमआर ने देश में छह सप्ताह तक परीक्षण सुविधाओं का भंडार सुरक्षित होने की बात कही थी। अब यह क्षमता बढ़कर आठ सप्ताह हो गयी है। इसलिये कोविड-19 की परीक्षण क्षमता को लेकर चिंता करने की कोई बात नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि देश में कोविड-19 के 2,90,401 परीक्षण किये जा चुके हैं। इनमें पिछले 24 घंटों में हुए 30,043 परीक्षण शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इनमें 26331 परीक्षण आईसीएमआर की 176 प्रयोगशालाओं में किये गये, जबकि 3712 परीक्षण, निजी क्षेत्र की 78 प्रयोगशालाओं में किये गये। निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं में देशव्यापी स्तर पर मौजूद 16 हजार नमूना संकलन केन्द्रों से एकत्र किये गये सेंपल के परीक्षण किये गये।
देश में कोरोना वायरस के परीक्षण की क्षमता के बारे में डा. गंगाखेड़कर ने कहा कि अभी आईसीएमआर की 176 प्रयोगशालाओं में नौ घंटे की एक पाली (शिफ्ट) में 42,418 परीक्षण प्रतिदिन करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर प्रयोगशालाओं में दो पाली में काम शुरु करने की क्षमता है, इस लिहाज से प्रतिदिन 78,227 परीक्षण हो सकेंगे।
भारत में कोरोना वायरस के परीक्षण का दायरा बढ़ाने की जरूरत के सवाल पर अग्रवाल ने कहा कि पूरी दुनिया में कोविड-19 के परीक्षण की प्रक्रिया और मानक पहले से परिभाषित हैं। भारत में इन मानकों के आधार पर ही परीक्षण प्रक्रिया को अपनाया गया है।
अग्रवाल ने कहा कि भारत ने सभी नागरिकों का परीक्षण कर संसाधनों को व्यर्थ गंवाने के बजाय संभावित अथवा संदिग्ध मरीजों का ही परीक्षण करने की रणनीति अपनायी है।
उन्होंने कहा कि गैरजरूरी परीक्षण करने से बचने के लिये ही पूरे देश को हॉटस्पॉट, संदिग्ध हॉटस्पॉट और ग्रीन जोन में बांट कर संक्रमण रोधी अभियान चलाया गया है और इसके सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों में अधिकतम तापमान में तेजी से उछाल के मद्देनजर कोरोना वायरस पर पड़ने वाले प्रभाव के सवाल पर डा. गंगाखेड़कर ने कहा कि अभी यह नया वायरस है, इस पर मौसम के असर का कोई अध्ययन या प्रमाण मौजूद नहीं है। ऐसे में गर्मी का इस वायरस पर क्या असर पड़ेगा, इसके प्रमाण गर्मी में ही देखने को मिल सकते हैं।
संवाददाता सम्मेलन में गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि मंत्रालय ने सभी राज्यों से सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने, सामाजिक दूरी कायम करने और पांच या इससे अधिक लोगों के जमा नहीं होने जैसे नियमों का सख्ती से पालन कराने के लिये कहा है।
श्रीवास्तव ने कहा ‘‘ राज्यों से कहा गया है कि सार्वजनिक स्थान और कार्यस्थलों पर थूकने या गंदगी फैलाने जैसे प्रवृत्ति को सख्ती से रोका जाये। साथ ही लॉकडाउन के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शराब, गुटखा और तंबाकू की बिक्री पर पाबंदी रहनी चाहिए। ’’
उन्होंने कहा कि कार्यस्थलों पर शरीर का तापमान जांचने के लिए स्क्रीनिंग और हैंड सैनेटाइजर्स का इस्तेमाल अनिवार्य होना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा कि राज्यों से मंत्रालय द्वारा जारी दिशनिर्देशों के मुताबिक यह सुनिश्चित करने को भी कहा गया है कि बुजुर्ग, खासकर जो पहले से बीमार हैं, और छोटे बच्चे को घर पर ही रहें।
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