नयी दिल्ली, 11 अप्रैल: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 10,732 नए मामले आने के साथ ही शहर में हालात ‘‘बेहद गंभीर’’ हैं. उन्होंने लोगों से कहा कि बहुत जरूरी होने पर ही घरों से बाहर निकलें. केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘कोरोना वायरस की चौथी लहर पिछली लहर से ज्यादा खतरनाक है. सरकार स्थिति पर करीब से नजर रख रही है.’’
महज कुछ हफ्तों पहले 16 फरवरी को दिल्ली में एक दिन में संक्रमण के 100 से कम मामले आए थे.
केजरीवाल ने कहा कि शहर में महामारी की मौजूदा चौथी लहर ‘‘बहुत खतरनाक’’ है और यह इतनी तेजी से फैल रही है कि इसने कई लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है.
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 10-15 दिनों में मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं. पिछले 24 घंटों में शहर में संक्रमण के 10,732 नए मामले आए. हालात बेहद गंभीर हैं.’’ दिल्ली में महामारी फैलने के बाद से एक दिन में आए ये सर्वाधिक मामले हैं. इससे पहले दिल्ली में 11 नवंबर 2020 को सबसे अधिक 8,593 मामले सामने आए थे. उस दिन शहर में इस महामारी से 131 लोगों की मौत हुई थी, जो अभी तक एक दिन में दिल्ली में मरने वाले लोगों की सबसे अधिक संख्या है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार दिल्ली में लॉकडाउन नहीं लगाना चाहती लेकिन अगर अस्पतालों में भीड़ बढ़ गई और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए बिस्तर उपलब्ध नहीं रहे तो लॉकडाउन लगाया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमें आपका सहयोग चाहिए. अगर आपका सहयोग मिलता है और अस्पतालों की स्थिति नियंत्रण में रहती है तो दिल्ली में लॉकडाउन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन अगर अस्पतालों में बिस्तरों की कमी हो जाती है और बिस्तर खाली नहीं रहते तो लॉकडाउन लगाया जा सकता है.’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर अस्पताल व्यवस्था चरमरा जाती है, तभी लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए.
केजरीवाल ने कहा, ‘‘मैं लॉकडाउन लगाने के पक्ष में नहीं हूं. मेरा मानना है कि लॉकडाउन कोविड-19 से निपटने का समाधान नहीं है. अगर अस्पताल व्यवस्था चरमरा जाती है तो तभी लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए.’’
उन्होंने लोगों से कहा कि अगर वे कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाते हैं तो अस्पतालों में जाने के बजाय घर पर पृथक-वास में रहें और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गंभीर मरीजों के लिए अस्पतालों में बिस्तर खाली रखे जाएं.
केजरीवाल ने कहा कि यह अजीब विरोधाभास है कि देश में टीका उपलब्ध होने के बावजूद कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 के 65 प्रतिशत मरीज 45 साल से कम आयु के हैं. कोरोना वायरस कैसे रुकेगा जब इसकी चपेट में आने वाले 65 प्रतिशत लोग 45 साल से कम आयु के हैं, जिनके लिए टीका उपलब्ध नहीं है.’’
केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हाल में हुई बैठकों में दो-तीन मुख्यमंत्रियों ने टीकाकरण पर लागू पाबंदियां हटाने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार लोगों को घर-घर जाकर टीका लगाने के लिए तैयार है. उम्र की पाबंदियों को हटाकर और टीकाकरण केंद्र बनाकर युद्ध स्तर पर टीकाकरण अभियान शुरू करने का वक्त आ गया है.’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों का कहना है कि टीका लगवाने के बावजूद लोग कोविड-19 से पीड़ित हो सकते हैं लेकिन वे गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ेंगे. उन्होंने कहा कि इसलिए लोगों को टीका लगवाने के बाद भी मास्क पहनने और सभी एहतियात बरतने की जरूरत है. केजरीवाल ने सभी राजनीतिक दलों से कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मिलकर काम करने को कहा.
उन्होंने कहा कि यह वक्त राजनीति करने या एक-दूसरे पर आरोप लगाने का नहीं है.
केजरीवाल ने धार्मिक और सामाजिक संगठनों तथा एनजीओ से भी वायरस के खिलाफ लड़ाई और उसे फैलने से रोकने में योगदान देने की अपील की. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनकी सरकार स्थिति पर नज़र रख रही है, और वह व्यक्तिगत रूप से इसकी निगरानी कर रही है. हम केंद्र सरकार सहित सभी की मदद के लिए जो कुछ भी करना चाहिए, कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा कि इस महामारी की चौथी लहर काफी संक्रामक है और गंभीर रोगियों के लिए अस्पताल के बिस्तर खाली रखने की आवश्यकता है. केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में कोविड-19 के लिए प्रतिदिन जांच की संख्या 80,000-85,000 से बढ़ाकर एक लाख से अधिक किया गया है.
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