नयी दिल्ली. दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 न केवल फेफड़े को बल्कि करीब सभी अंगों को प्रभावित कर सकता है और प्रारंभिक लक्षण छाती की शिकायत से बिल्कुल असंबंधित हो सकते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अन्य अंगों को शामिल करने के लिए, बस सांस के लक्षणों के आधार पर हल्के, मध्यम और गंभीर श्रेणियों में मामलों के वर्गीकरण पर फिर से विचार करने की जरूरत है.
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, स्नायु विभाग के प्रमुख डॉ एम वी पद्मा श्रीवास्तव, हृदय चिकित्सा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. अंबुज राय, मेडिसीन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल समेत संस्थान के विशेषज्ञों ने नीति आयोग के साथ मिलकर आयोजित अपने साप्ताहिक ‘नेशनल क्लीनिकल ग्राउंड राउंड्स’ में कोविड-19 का फेफड़े पर होने वाले संभावित जटिलताओं पर चर्चा की.
गुलेरिया ने कहा, ‘‘ चूंकि हमने कोविड-19 के बारे में अधिकाधिक जाना है, तो ऐसे में हमने अहसास किया है कि यह फेफड़े पर भी अपना प्रभाव दिखाता है. यह मूल तथ्य है कि यह वायरस एसीई 2रिसेप्टर से कोशिका में प्रवेश करता है इसलिए श्वासनली और फेफड़े में वह बड़ी मात्रा में होता है लेकिन वह अन्य अंगो में भी मौजूद होता है और इस तरह अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमने कई ऐसे मरीज देखे हैं जिसमें फेफड़े की कम बल्कि अन्य अंगों की अधिक परेशानी रही. विशेषज्ञों ने कई ऐसे उदारहण दिये जहां मरीज को बिना लक्षण वाला या हल्के कोविड वाला बताया गया लेकिन उनमें फेफड़े के बजाय अन्य जानलेवा परेशानियां थीं.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)