चंडीगढ़, 30 अगस्त पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के ‘‘किसान विरोधी एजेंडे’’ का पर्दाफाश हो गया है।
उन्होंने कहा कि खट्टर ने पंजाब में कांग्रेस सरकार पर केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अशांति फैलाने का आरोप लगाकर किसानों पर हमले का बचाव किया था।
इससे पहले दिन में, खट्टर ने पंजाब में अमरिंदर सिंह सरकार, कांग्रेस और वामपंथियों पर केंद्रीय कानूनों के खिलाफ उनके राज्य में अशांति और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया।
सिंह ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा कानूनों को रद्द करने से इनकार करना पार्टी और उसके नेतृत्व के निहित स्वार्थों को दर्शाता है, जिसने एक बार फिर अपने पूंजीवादी मित्रों को आम आदमी के ऊपर रखा था।’’
उन्होंने अशांति के माहौल के लिए भाजपा को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि संकट इतना गंभीर नहीं होता अगर हरियाणा के मुख्यमंत्री और भाजपा ने किसानों की चिंताओं पर ध्यान दिया होता। उन्होंने कहा कि खट्टर के ‘‘किसान विरोधी’’ एजेंडे का पर्दाफाश हो गया है क्योंकि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पंजाब पर आंदोलन की जिम्मेदारी डालकर प्रदर्शनकारी किसानों पर आपराधिक हमले का बचाव करने की कोशिश की।
सिंह ने कहा, ‘‘क्या आपको दिखाई नहीं देता कि आपके अपने राज्य के किसान आपके उदासीन रवैये और आपकी पार्टी के कृषि कानूनों को निरस्त करने से इनकार करने के लिए आपसे नाराज हैं?’’ उन्होंने कहा कि किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और उन्हें अपनी और अपने परिवार की रक्षा के लिए पंजाब या किसी अन्य राज्य से उकसावे की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘आपकी पार्टी ने कृषि क्षेत्र में जो गड़बड़ी की है, उसके लिए पंजाब को दोष देने के बजाय कृषि कानूनों को निरस्त करें। भाजपा को विभिन्न राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में और उसके बाद हर चुनाव में अपने पापों का भुगतान करना होगा।’’
भाजपा की एक बैठक के विरोध में करनाल की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बाधित करने वाले किसानों के एक समूह पर शनिवार को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने से करीब 10 लोग कथित रूप से घायल हो गए थे।
एक किसान महापंचायत ने सोमवार को लाठीचार्ज में शामिल लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की और छह सितंबर तक मांगें पूरी नहीं होने पर वहां सचिवालय का घेराव करने की चेतावनी दी।
सिंह ने कहा कि किसानों ने आंदोलन करने के वास्ते दिल्ली की सीमाओं पर जाने से पहले दो महीने तक पूरे पंजाब में विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने दावा किया कि उनके राज्य में इस अवधि के दौरान हिंसा की एक भी घटना नहीं हुई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल में, जब गन्ना किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया, तो हमने उनके साथ बातचीत की और बल का उपयोग करने के बजाय इस मुद्दे को हल किया।’’
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