नयी दिल्ली, 7 अगस्त : राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को सरकार पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कुछ पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाए जाने का आरोप लगाया और सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण की मांग की हालांकि, सरकार ने उनके आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने जो विषय उठाया उसमें कोई तथ्य नहीं हैं.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘‘अभी सात कक्षाओं की किताब आई है. पहले प्रस्तावना हुआ करती थी इनमें, जिसके बारे में नेता प्रतिपक्ष जिक्र कर रहे थे. अभी तक जो नयी पाठ्य पुस्तक आयी हैं कक्षा छह की, उसमें भी प्रस्तावना है. न केवल प्रस्तावना बल्कि उसके साथ मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्य, राष्ट्रगान...ये भी संविधान की प्रस्तावना और उसके मूल्यों का प्रतिनिधितव करते हैं. इन सारे विषयों को रखा गया और वह जो विषय रख रहे थे उसमें तथ्य नहीं था.’’
केंद्रीय मंत्री के जवाब के बाद भी खरगे ने कहा कि कक्षा तीन और कक्षा छह की पाठ्य पुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया गया है. उनके आपत्ति जताने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संबंधित मंत्री ने सदन में बयान दिया है और वह अगर गलत होगा तो यह विशेषाधिकार का मामला होगा. इससे पहले, खरगे ने इस मुद्दे को शून्यकाल में उठाया और अखबारों में छपी खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि एनसीईआरटी की कुछ पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया गया है. उन्होंने इसे ‘बहुत महत्वपूर्ण’ मुद्दा बताते हुए कहा कि प्रस्तावना हमारे संविधान की मूल आत्मा और संविधान तथा लोकतंत्र का मूलभूत आधार है. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव देश को लोगों को स्वीकार नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक विचारधारा को देश के लोगों पर थोपने के लिए सरकार पाठ्यक्रम के साथ छेड़छाड़ कर रही है. यह भी पढ़ें : DA बकाया देने से मना करना ‘सरकारी गारंटी’ से इनकार के समान: अखिलेश यादव
उन्होंने कहा, ‘‘एनसीईआरटी ने यह जो कदम उठाया है, ठीक नहीं है. मैं सरकार से मांग करता हूं कि पाठ्यक्रमों में हुए बदलाव को लेकर एक विस्तृत तथ्य सदन के सामने रखें. इस मुद्दे पर सरकार स्पष्टीकरण दे और संविधान के बारे में अपना कदम वापस ले. खरगे के आरोपों का जवाब देते हुए सदन के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जिस तरीके से विपक्ष के नेता विषय उठाया है, उससे एक ध्वनि प्रतिबिंबित करने की कोशिश की गई कि शायद संविधान की प्रस्तावना या उसके मूल धाराओं से कुछ छेड़छाड़ हो रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक जिम्मेदार पार्टी है और जब वह सदन में कोई मुद्दा उठाती होगी तो जिम्मेदारी से कहने का प्रयास करती होगी. उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष के नेता ने कहा कि ऐसा देखने में आया है, ऐसा सुनने में आया है, ऐसा पढ़ने में आया है.’’ नड्डा ने कहा कि विपक्ष के नेता को यह ध्यान में रखना चाहिए कि कभी भी अखबार की कतरनें स्रोत नहीं हुआ करती हैं. स्रोत वास्तविक टेक्सबुक होती है.’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार ने जितना संविधान सम्मान किया है, उतना किसी सरकार ने नहीं किया है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रस्तावना के साथ छेड़छाड़ करने का सवाल ही नहीं उठता है.’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी संविधान के प्रति समर्पित हैं और उनके ही नेतृत्व में 26 नवंबर 2014 से संविधान दिवस मनाने की शुरुआत हुई. उन्होंने आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान की ऊपर डाका तो 25 जून 1975 को डाला गया था और संविधान की धज्जियां उड़ा दी गई थीं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में खरगे की ओर से की गई टिप्पणियों का जवाब देते हुए सदन के नेता ने कहा कि आरएसएस पर कांग्रेस की सरकारों ने दो बार प्रतिबंध लगाने की कोशिश की लेकिन वह उतना ही मजबूत मजबूत होकर उभरा क्योंकि वह राष्ट्र प्रेमी, देश प्रेमी और इस मिट्टी के साथ जुड़ा हुआ संगठन है.