केरल सरकार ने पलक्कड़ में लोको-पायलट की हड़ताल पर केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया
All India Loco Running Staff Association'

तिरुवनंतपुरम, 15 जून : केरल सरकार ने पलक्कड़ क्षेत्र में लोको-पायलट की हड़ताल रोकने के लिए केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी रेलवे प्रणाली की सुरक्षा और क्षमता बढ़ाना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. 'ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन' (एआईएलआरएसए) के बैनर तले कई लोको पायलट 30 घंटे के बजाय 46 घंटे आराम देने की मांग को लेकर एक जून से हड़ताल कर रहे हैं.

केरल के श्रम और शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने शुक्रवार को केंद्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को इस संबंध में एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा कि लोको पायलट के कानूनी अधिकारों को बरकरार रखते हुए और स्थिति को सामान्य करने के लिए इस 'महत्वपूर्ण मुद्दे' का समाधान किया जाना चाहिए.

शिवनकुट्टी ने पत्र में यह भी बताया कि यह आंदोलन केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण और कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसलों के आधार पर किया जा रहा है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि रेलवे अधिनियम और नियमों के अनुसार साप्ताहिक आराम के साथ-साथ दैनिक आराम न देना अवैध है.

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के इस फैसले के बावजूद अधिकारी लोको पायलट को आराम न देने पर अड़े हुए हैं. केरल के मंत्री ने अपने पत्र में लिखा, ‘‘इस कठोर रुख के कारण कर्मचारियों को अनुचित दंड दिया गया और कई कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया.’’ यह भी पढ़ें : Siddaramaiah On NEET Scam: दोबारा होनी चाहिए नीट की परीक्षा, ग्रेस मार्क्स देना गलत- कर्नाटक सीएम

उन्होंने पत्र में कहा, ''ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कर्मचारियों को अनुचित दंड देने और उन्हें निलंबित कर देने जैसे कदम इसलिए उठाए गए हैं, जिनसे उनके आराम की मांग को अनुचित ठहराया जा सके. इस प्रकार जो हो रहा है उसे केवल घोर अराजकता और जन-विरोधी व्यवहार ही कहा जाएगा.''

केरल के श्रम और शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने आरोप लगाया कि रेलवे अधिकारियों द्वारा उठाया गया कदम न केवल कानूनी आदेशों की अवहेलना करता है, बल्कि कर्मचारियों और यात्रियों दोनों की सुरक्षा एवं उनके हितों के साथ समझौता है. उन्होंने पत्र में कहा, ''ऐसे में यह जरूरी है कि इस मुद्दे को हल करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं, लोको पायलट को कानूनी रूप से अनिवार्य आराम दिया जाए और उनके खिलाफ की गई कड़ी कार्रवाई वापस ली जाए.''