देश की खबरें | केरल सरकार ने ‘अदाणी को लाभ पहुंचाने’ के लिए बिजली दरें बढ़ाईं: यूडीएफ

तिरुवनंपुरम, सात दिसंबर कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने शनिवार को दावा किया कि केरल सरकार के बिजली शुल्क को बढ़ाने के फैसले की वजह से केरल राज्य विद्युत बोर्ड (केएसईबी) को भारी नुकसान हुआ है और सरकार का मकसद राज्य में बिजली खरीद प्रणाली में अदाणी समूह को शामिल कर कारोबारी समूह को लाभ पहुंचाना है।

राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने आरोप लगाया कि 2016 में यूडीएफ सरकार के दौरान हुए पांच रुपये प्रति यूनिट से कम दरों पर विद्युत खरीद के दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौते को वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार के दौरान रद्द कर दिया गया ताकि अदाणी को इस (प्रणाली में) आने का मौका मिल सके।

दोनों नेताओं ने कहा कि अनुबंध समाप्ति के परिणामस्वरूप केएसईबी को पहले की तुलना में दो से तीन गुना अधिक दरों पर बिजली खरीदनी पड़ी, जिससे बोर्ड पर भारी कर्ज हो गया और आम लोगों को बिजली शुल्क के रूप में हजारों करोड़ रुपये का बोझ उठाना पड़ा।

सतीशन ने दावा किया कि राज्य सरकार के फैसले के कारण केएसईबी का कर्ज यूडीएफ शासन के दौरान लगभग 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 40,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया।

केरल सरकार ने शुक्रवार को पांच दिसंबर से प्रभावी 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दरों में 16 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की घोषणा की थी, जिसके बारे में पूछे गये एक सवाल पर कांग्रेस नेता जवाब दे रहे थे।

इसके अलावा 2025-26 वित्तीय वर्ष में बिजली दरों में 12 पैसे प्रति यूनिट की अतिरिक्त वृद्धि की जानी है।

चेन्नीथला ने वृद्धि को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि सरकार के इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि वह बिजली उत्पादक कंपनियों, खासकर अदाणी के साथ मिलीभगत कर रही है।

उन्होंने दावा किया, “इस कदम के सबसे बड़ा लाभार्थी अदाणी हैं। सरकार के इस फैसले का उद्देश्य अदाणी को केरल में बिजली खरीद प्रणाली में लाना है।”

चेन्नीथला ने यह भी कहा कि उन्हें आशंका है कि इन कदमों का उद्देश्य केएसईबी को भारी कर्ज के जाल में धकेलकर उसका निजीकरण करना है।

उन्होंने कहा कि अब सरकार 10 से 14 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद रही है, जिससे केएसईबी को रोजाना 12 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

चेन्निथला ने यह भी आरोप लगाया कि बिजली नियामक आयोग के कुछ सदस्य जिन्होंने दीर्घकालिक अनुबंध को रद्द किया था, वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के करीबी लोग थे।

उन्होंने कहा, “यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है। यह केरल के लोगों को लूटने और अदाणी को लाभ पहुंचाने के लिए लिया गया गलत निर्णय है। इसलिए सरकार को इसे वापस लेना चाहिए।”

पिनराई विजयन सरकार के 2016 में सत्ता में आने के बाद से अब तक पांचवीं बार शुल्क में वृद्धि हुई है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)