तिरुवनंतपुरम, 16 नवंबर केरल सरकार और सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शनिवार को केंद्र सरकार पर वायनाड भूस्खलन के पीड़ितों के लिए केंद्रीय सहायता प्रदान करने के मामले में ‘‘लोकतंत्र विरोध रुख’’ अपनाने का आरोप लगाया।
माकपा ने कहा कि वह केंद्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज करेगी, जबकि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केंद्र सरकार का बचाव किया और कहा कि उन्हें इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए आश्वासन पर पूरा भरोसा है।
केंद्र द्वारा केरल सरकार को हाल ही लिखे गए पत्र ने राज्य की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। पत्र में कहा गया कि राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) के मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत, किसी भी आपदा को ‘‘राष्ट्रीय आपदा’’ घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है।
यहां राजस्व मंत्री के राजन ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्र को राज्य के प्रति ऐसा ‘‘भयावह रुख’’ नहीं अपनाना चाहिए और यह केरल के लिए सही नहीं है।
राजन ने कहा, ‘‘राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) से पैसा खर्च करने के लिए प्रधानमंत्री और अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) को आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। एसडीआरएफ से पैसा खर्च करने के लिए राज्य को केंद्र को ज्ञापन-पत्र सौंपने की भी कोई जरूरत नहीं है।’’
उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे समय में जब राज्य को एसडीआरएफ आकलन के अनुसार सहायता निधि प्राप्त करने का अधिकार है, यह कहकर गलतफहमी पैदा करना ठीक नहीं है कि भूस्खलन प्रभावित वायनाड के पुनर्वास के लिए धन आपदा राहत कोष में आवंटित किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए उचित नहीं है।’’
माकपा के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने भी इसी तरह के विचार साझा करते हुए कहा कि केंद्र केवल ‘‘राजनीतिक कारणों’’ से वायनाड पुनर्वास के लिए सहायता देने से इनकार कर रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भूस्खलन प्रभावित वायनाड में राहत और पुनर्वास के लिए पर्याप्त सहायता आवंटित करने के लिए राज्य द्वारा केंद्र सरकार पर दबाव डाले जाने के बावजूद, केंद्र ने आज तक इसके लिए एक रुपया भी आवंटित नहीं किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के प्रति केंद्र की द्वेष भावना इसकी मुख्य वजह है। सहायता केवल राजनीतिक कारणों से अस्वीकार की गई है।’’
गोविंदन ने कहा कि हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे के दौरान आश्वासन दिया था कि भूस्खलन प्रभावित वायनाड के पुनर्वास के लिए राज्य को सभी सहायता दी जाएगी, लेकिन उन्होंने अभी तक अपना वादा पूरा नहीं किया है।
हालांकि, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केंद्र के खिलाफ आलोचनाओं को खारिज कर दिया और कहा कि उन्हें इस संबंध में ‘‘प्रधानमंत्री के आश्वासन पर पूरा भरोसा है’’।
उन्होंने एर्णाकुलम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे पास पहले से ही धन है। क्या आप (राज्य सरकार) केंद्र सरकार को हिसाब-किताब देते हैं। यह बताते है कि यह पैसा खर्च हो गया है और अधिक धन की जरूरत है।’’
जब पत्रकारों ने उनसे वायनाड त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने में केंद्र के रुख के बारे में पूछा तो खान ने उनसे पूछा कि क्या वे घोषणा में रुचि रखते हैं या पुनर्वास में।
संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा और वाम लोकतांत्रिक मोर्चा दोनों ने शुक्रवार को केंद्र के फैसले के विरोध में 19 नवंबर को हड़ताल का आह्वान किया।
वायनाड में 30 जुलाई को आई आपदा ने अट्टामाला के कुछ हिस्सों के साथ-साथ मुंडक्कई, चूरलमाला, और नूलपुझा गांव के बड़े हिस्सा में तबाही मचाई थी। सरकार के अनुसार, इस आपदा में 231 लोगों को जान गंवानी पड़ी और 47 लोग अब भी लापता हैं।
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