नयी दिल्ली, 16 नवंबर आई-लीग के 13 क्लब मालिकों ने एकजुट होकर शनिवार को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) पर प्रसारण अधिकार के निविदा प्रक्रिया में कुप्रबंधन का हवाला देते हुए देश की दूसरे स्तर की इस चैंपियनशिप के भविष्य को खतरे में डालने का आरोप लगाया।
आई-लीग का आगाज 22 नवंबर से होना है।
क्लब मालिकों ने इस मामले को एशियाई फुटबॉल परिसंघ और फीफा के पास ले जाने की धमकी दी और दावा किया कि एआईएफएफ की कार्रवाई फुटबॉल विकास के लिए तैयार खाके का उल्लंघन है।
इस बात पर सवाल उठ रहे है कि एआईएफएफ की पांच इकाइयों आई-लीग, आई-लीग 2, इंडियन वुमैन्स लीग, संतोष ट्रॉफी और सीनियर वुमैन्स चैंपियनशिप के प्रसारण के अधिकार के लिए जब एक ही कंपनी श्राची स्पोर्ट्स की बोली आयी है तो इसे जारी क्यों किया जा रहा है।
एआईएफएफ ने श्राची स्पोर्ट्स को अधिकार देने के लिए अपनी कार्यकारी समिति की मंजूरी मांगी है।
दिल्ली एफसी के मालिक रंजीत बजाज ने पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का हवाला देते हुए कहा, ‘‘नियमों के अनुसार किसी निविदा को वैध बनाने के लिए आपको कम से कम दो बोलीदाताओं की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल एक ही बोलीदाता (श्राची समूह) था। जब इसे खोला गया तो निविदा समिति ने दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर भी नहीं किए।’’
बजाज ने कहा, ‘‘ निविदा अगर श्राची समूह को सौपी जाती है तो इस मामले में कार्यकारी समिति द्वारा अंतिम फैसला किया जाना चाहिये। इसे उनके द्वारा अनुमोदित और निर्णय लिया जाना चाहिए। इसमें अध्यक्ष और महासचिव निर्णय नहीं ले सकते हैं।’’
बजाज ने ऑनलाइन बातचीत में कहा, ‘‘ महासंघ अगर प्रसारण के महत्व को नहीं समझता है तो एएफसी और फीफा हस्तक्षेप कर सकते हैं। महासंघ हमारे साथ इस तरह का व्यवहार कैसे कर सकता है? आई-लीग क्लबों के साथ यह बुरा व्यवहार बंद होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा एआईएफएफ उस खाके (रोडमैप) का पालन नहीं कर रहा है जिसके लिए वे एएफसी और फीफा के साथ सहमत हुए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘ इसके बाद हमारा पहला कदम एएफसी और फीफा से संपर्क करना होगा क्योंकि उन्होंने ही इस रोडमैप पर हस्ताक्षर किए हैं। इस मामले में आचार समिति से भी संपर्क किया जा सकता है।’’
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