कोलंबो, 16 नवंबर श्रीलंका के दो बार राष्ट्रपति और दो बार प्रधानमंत्री रह चुके महिंदा राजपक्षे ने अपने 79वें जन्मदिन से दो दिन पहले शनिवार को अभी राजनीति नहीं छोड़ने का संकल्प लिया।
बुधवार को हुए संसदीय चुनाव में श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) को मात्र तीन प्रतिशत वोट मिलने के बाद महिंदा की यह पहली प्रतिक्रिया है। इस चुनाव में सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) ने सदन पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया है।
तमिल अल्पसंख्यक क्षेत्रों में लिट्टे के अलगाववादी संघर्ष को समाप्त करने के लिए सिंहली बहुसंख्यकों के नायक के रूप में देखे जाने वाले महिंदा सोमवार को 79 वर्ष के हो जाएंगे। महिंदा दो कार्यकाल - 2005-2010 और 2010-2015 - के लिए राष्ट्रपति रहे और दो कार्यकाल - अप्रैल 2004 से नवंबर 2005 और 2019-2022 तक प्रधानमंत्री रहे।
वे 1970 से संसदीय चुनाव लड़ रहे हैं और 1977 को छोड़कर उन्होंने जितने भी चुनाव लड़े, सभी में सांसद निर्वाचित हुए।
पार्टी मुख्यालय में एसएलपीपी की एक बैठक में भाग लेने के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "नहीं, हम आसानी से राजनीति नहीं छोड़ेंगे, हम लड़ते रहेंगे।’’
उन्होंने कहा कि एनपीपी को मिले जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘नये चेहरों को शासन करने दिया जाना चाहिए।’’
उन्होंने पहले उत्तर पश्चिमी कुरुनेगला जिले से बुधवार के चुनाव में हिस्सा नहीं लेने की घोषणा की थी, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
वास्तव में, सभी राजपक्षे भाइयों - महिंदा, गोटाबाया, चमल और बेसिल - ने दशकों के प्रतिनिधित्व के बाद संसदीय चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी।
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