बेंगलुरु, पांच फरवरी कर्नाटक सरकार ने केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी के मुद्दे पर केंद्र को घेरा है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय अनुदान में कमी के कारण 15वें वित्त आयोग के तहत पांच साल के दौरान राज्य को कुल 1.87 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने इस विसंगति को दूर करने का आग्रह किया।
साथ ही, मुख्यमंत्री ने यह साफ किया कि वह या उनकी सरकार ‘गरीब’ या विकास में पिछड़े उत्तरी राज्यों को अधिक धन देने के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि वे केवल इतना चाहते हैं कि कर्नाटक जैसे राज्यों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।
सिद्धरमैया ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार आगामी बजट सत्र के दौरान राज्य के वित्त पर एक ‘श्वेत पत्र’ सदन में पेश करने पर विचार कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘कर्नाटक को 15वें वित्त आयोग के पांच साल के तहत 1,87,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसमें केंद्रीय करों में हिस्सेदारी और अन्य चीजें शामिल हैं। हम इसका विरोध कर रहे हैं। इसे ठीक किया जाए।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र कथित रूप से राज्य में विभिन्न सिंचाई और अन्य विकासात्मक परियोजनाओं में देरी कर रहा है।
उन्होंने कर्नाटक और नयी दिल्ली में कांग्रेस सरकार के सात फरवरी को विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार और देश के लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए है।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘हमने अबतक दिल्ली में कभी धरना नहीं दिया था। लेकिन अपरिहार्य कारणों से हमारे सामने धरना देने की स्थिति आ गई है।’’
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